बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध

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बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध : सोने की चिड़िया कहलाने वाली हमारे भारत की दशा आज कुछ ऐसे हो गयी है की आजादी के इतने सालों बाद भी हमारा देश हर दिन किसी न किसी समस्याओं से लड़ता रहता है.

आज भारत के सामने जो समस्याएँ फन फैलाए खड़ी हैं, उनमे से एक महत्वपूर्ण समस्या है- बेरोजगारी. लोगों के पास हाथ है, पर काम नहीं; प्रसिक्षण है, पर नौकरी नहीं; योजनाएँ और उत्साह है, पर अवसर नहीं है.

बेरोजगारी समाज के लिए एक अभिशाप है. इससे न केवल व्यक्तियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि बेरोजगारी पुरे समाज को भी प्रभावित करती है.

आज के इस लेख में मैंने आपके लिए बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध (Unemployment Problem and solution Essay in Hindi) प्रस्तुत किया है, जिसके जरिये मै लोगों को बेरोजगारी से होने वाली समस्या और इसका समाधान बताने वाली हूँ और साथ ही बच्चे भी इस निबंध का उपयोग अपनी स्कूली कार्य में कर सकते हैं.

बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध

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भारत में सवा अरब लोग रहते हैं, यहाँ पर बेरोजगारी की समस्या बहुत ही विकराल रूप धारण करे हुए हैं. बेरोजगारी की समस्या राष्ट्र के मस्तक पर कलंक की टिके के समान है.

न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में बेरोजगारी एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है. यहाँ सैकड़ों और हजारों लोग ऐसे हैं, जिनके पास रोजगार नहीं है.

बेरोजगार होने से तात्पर्य होता है की काबिलियत तथा शिक्षा से पूर्ण होने के बावजूद भो रोजगार प्राप्त करने में असमर्थ होना. यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब काम की कमी होती है और काम करने वालों की अधिकता होती है.

बेरोजगार उस व्यक्ति को कहा जाता है जो की बाज़ार में प्रचलित मजदूरी दर पर काम तो करना चाहता है लेकिन उसे काम नहीं मिल पा रहा है. बेरोजगारी की परिभाषा हर देश में अलग अलग होती है.

जैसे अमेरिका में यदि किसी व्यक्ति को उसकी क्वालिफिकेशन के हिसाब से नौकरी नहीं मिलती है तो उसे बेरोजगार माना जाता है.

आज हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या में निरंतर वृद्धि हो रही है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण है हमारा बेरोजगार युवावर्ग. हमारे आस पास इतने युवक हैं जिन्होंने ऊँची-ऊँची डीग्रीयाँ हासिल की है लेकिन वे आज भी रोजगार की तलाश में इधर उधर भटक रहे हैं.

नौकरी की तलाश में लोग प्रतिदिन दफ्तरों के चक्कर लगाते रहते हैं तथा अख़बारों और इन्टरनेट में दिए गए विज्ञापनों द्वारा अपनी योग्यता के अनुरूप नौकरी की खोज में लगे रहते हैं, परन्तु उन्हें रोजगार की प्राप्ति नहीं होती.

भारत में बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण इसकी विशाल आबादी है जो हर साल बड़ी संख्या में नौकरियों की मांग करती है जो सरकार और प्राधिकरण प्रदान करने में असमर्थ हैं.

बेरोजगारी के प्रकार

बेरोजगारी भी बहुत से प्रकार के होते हैं जिसमे शिक्षित बेरोजगारी, अशिक्षित बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, अल्प बेरोजगारी और प्रछन्न बेरोजगारी जैसे कई सारी चीजें सामिल हैं.

असिक्षित बेरोजगारी के सम्मुख यह समस्या विकराल रूप में नहीं होती है, क्यूंकि ये लोग किसी न किसी रूप से छोटे-छोटे काम धंधे कर अपनी दो वक़्त की रोटी का इन्तेजाम कर लेते हैं. लेकिन क्या आपको शिक्षित बेरोजगारी किसे कहते हैं पता है? जो शिक्षित बेरोजगार होते हैं वो पढ़े लिखे होते हैं.

ये लोग असिक्षित व्यक्तियों की तरह छोटे छोटे काम करने के लिए कभी राजी नहीं होते क्यूंकि ये लोग मेहनत-मजदूरी करने में अपनी योग्यता और विद्या का अपमान समझते हैं. जो की सही भी है आखिर इतने पढने लिखने का फायेदा ही क्या जब हमें मजदूरों की नौकरी ही करनी है.

ऐसे बेरोजगार लोगों की वास्तविक संख्या ज्ञात से कहीं अधिक होती है, क्यूंकि जो सरकारी आंकड़ों में गिने जाते हैं, उनकी गिनती तो हो जाती है, लेकिन जिनके नाम रोजगार कार्यालय में अंकित नहीं होते हैं, वे इस गिनती में नहीं आ पाते हैं.

बेकार व्यक्तियों की संख्या प्रतिवर्ष लाखों में बढ़ जाती है. एक अनुमान के अनुसार इस वक़्त हमारे देश में लगभग 12 करोड़ लोग बेरोजगार हैं.

मौसमी बेरोजगारी- जैसा की शब्द से ही स्पष्ट है, यह उस तरह की बेरोजगारी का प्रकार है जिसमे वर्ष के कुछ समय में ही काम मिलता है. मुख्य रूप से मौसमी बेरोजगारी से प्रभावित उद्योगों में कृषि उद्योग, रिसॉर्ट्स और बर्फ कारखाने आदि शामिल हैं.

कृषि में लगे लोगों को कृषि की जुताई, बोवाई, कटाई आदि कार्यों के समय तो रोजगार मिलता है लेकिन जैसे ही कृषि कार्य खत्म हो जाता है तो कृषि में लगे लोग बेरोजगार हो जाते हैं.

प्रछन्न बेरोजगारी- प्रछन्न बेरोजगारी उस बेरोजगारी को कहते हैं जिसमे कुछ लोगों की उत्पादकता शून्य होती है अर्थात यदि इन लोगों को उस काम में से हटा भी लिया जाये तो भी उत्पादन में कोई अंतर नहीं आएगा.

अल्प बेरोजगारी- जब कोई व्यक्ति जितने समय काम कर सकता है, उससे कम समय उसे काम मिलता है या कह सकते हैं की उसे अपनी क्षमता से कम काम मिलता है, उसे अल्प बेरोजगारी कहते हैं. इस अवस्था में व्यक्ति वर्ष में कुछ समय बेरोजगार रहता है.

इसके अलावा कुछ ऐसे बेरोजगार भी होते हैं जिनको मजदूरी भी ठीक मिल सकती है लेकिन फिर भी ये लोग काम नहीं करना चाहते हैं जैसे- भिखारी, साधू इत्यादि.

बेरोजगारी के कारण

बेरोजगारी की बढती समस्या निरंतर हमारी प्रगति, शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बन रही है. हमारे देश के बेरोजगारी के अनेक कारण हैं.

1. बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है- बढती हुई जनसंख्या. भारत में जनसंख्या का विस्फोट जितना जबरदस्त है, कामों के अवसरों में विकास उतना तीव्र नहीं है. हर वर्ष बढती हुई जनसंख्या बेरोजगारों की कतार को और अधिक लम्बा कर जाती है.

जनसंख्या में वृद्धि के अनुपात की वजह से रोजगारों की कमी और अवसर में बहुत कम वृद्धि हो रही है इसी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है.

2. यंत्रीकरण अथवा मशीनीकरण ने भी असंख्य लोगों के हाथ से रोजगार छिनकर उन्हें बेरोजगार कर दिया है, क्यूंकि एक मशीन कई श्रमिकों का काम निपटा देती है. फलस्वरूप बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो रहे हैं.

गाँधी जी कहा करते थे- ‘हमारे देश को अधिक उत्पादन नहीं, अधिक हाथों द्वारा उत्पादन चाहिए.’ उन्होंने बड़ी-बड़ी मशीनों की जगह लघु उद्योगों को प्रोत्साहन दिया. उनका प्रतिक था- चरखा.

परन्तु अधिकांश जन आधुनिकता की चकाचौंध में उस सच्चाई के मर्म को नहीं समझे. परिणाम यह हुआ की मशीनें बढती गईं, हाथ खाली होते गए. बेकारों की फ़ौज जमा हो गई.

जन से कंप्यूटर का देश में विकास हुआ है इससे बेकारी की समस्या लगातार बढती चली जा रही है.

3. इसका दूसरा प्रमुख कारण हमारी शिक्षा व्यवस्था है. कई सालों से हमारी शिक्षा पद्धति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. बेरोजगारी के लिए हमारी शिक्षा प्रणाली भी दोषपूर्ण है. यहाँ व्यवसाय प्रधान शिक्षा का अभाव है. व्यवहारिक या तकनिकी शिक्षा के अभाव में शिक्षा पूरी करने के बाद विद्यार्थी बेरोजगार रहता है.

4. भारत में व्याप्त अशिक्षा भी बेरोजगारी का मुख्य कारण है. आज के मशीन युग में शिक्षित और कुशल तथा प्रशिक्षित व्यक्तियों की आवश्यकता पड़ती है. हम अपनी शिक्षा व्यवस्था में साक्षरता को ही विशेष महत्व देते हैं. व्यावासिक तथा तकनिकी शिक्षा की अवहेलना होती है.

तकनिकी शिक्षा का जो भी प्रबन्ध है, उसमे सैद्धांतिक पहलु पर अधिक जोर दिया जाता है और व्यवहारिक पहलु पर ध्यान नहीं दिया जाता. यही कारण है की हमारे इंजिनियर तक मशीनों पर काम करने से कतराते हैं. साधारण रूप से उच्च शिक्षा प्राप्त कर हम केवल नौकरी करने लायक बन पाते हैं.

5. बेरोजगारी का एक अन्य कारण है सरकार की ओर से घरेलु उद्योग धंधों को प्रोत्साहन ना देना. सरकार की ओर से बड़े बड़े व्यापारियों और कंपनियों को अरबों रूपए तक का कर्ज आसानी से मिल जाता है लेकिन लघु उद्योग स्थापित करने के लिए आम व्यक्ति को कर्ज नहीं दिया जाता है इसी कारण लघु उद्योग धंधे विकसित नहीं हो पा रहे हैं और देश में गरीबी फैली हुई है.

बेरोजगारी के समाधान

प्रत्येक समस्या का समाधान उसके कारणों में छिपा रहता है. अतः यदि ऊपर-कथित कारणों पर प्रभावी रोक लगाई जाये तो बेरोजगारी की समस्या का काफी सीमा तक समाधान हो सकता हो.

व्यावसायिक शिक्षा, लघु उद्योगों को प्रोत्साहन, मशीनीकरण पर नियंत्रण, रोजगार के नए अवसरों की तलाश, जनसंख्या पर रोक आदि उपायों को शीघ्रता से लागु किया जाना चाहिए.

जब तक इस समस्या का उचित समाधान नहीं होगा तब तक समाज में न तो सुख शांति रहेगी और न ही राष्ट्र का व्यवस्थित एवं अनुशासित ढांचा खड़ा हो सकेगा.

स्किल डेवलपमेंट योजना आगे चलकर बेरोजगारी की समस्या का समाधान कर सकती है. हम भारतीयों को स्वयं को ज्ञान और नए अविष्कारों के माध्यम से इतना सक्षम बनाना होगा जिससे विश्व भर के बड़ी कंपनियों को हमारी ताकत का पता चल सके और वह भारत में निवेश करें तथा अपनी कंपनियां शुरू करें.

इससे हमारे देश के लोगों को करियर के नए अवसर प्राप्त होंगे और हमारे देश को विकसित होने में मदद मिलेगी. हाल ही में सरकार ने भी भारत के नौजवानों को आगे ले जाने के लिए कई प्रकार के योजनाएं शुरू किया है जैसे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, मुद्रा लोन योजना, आवास योजना, बेटी बचाओ- बेटी पढाओ अभियान, सुकन्या समृद्धि योजना इत्यादि.

लोगों को सरकार की इन योजनाओं से जुड़ना चाहिए और इन योजनाओं के माध्यम से अपने आने वाली पीढ़ी को शिक्षित बनाना चाहिए जिससे वह हमारे देश भारत का भविष्य बन सकें.

हम कह सकते हैं कि भारत में बेरोजगारी की समस्या एक महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है. लेकिन, अब सरकार और स्थानीय अधिकारियों ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है और बेरोजगारी को कम करने के लिए इस पर काम कर रहे हैं.

इसके अलावा, बेरोजगारी के मुद्दे को पूरी तरह से हल करने के लिए हमें बेरोजगारी के मुख्य मुद्दे से निपटना होगा जो कि भारत की विशाल आबादी है.

बेरोजगारी कई समस्याओं को जन्म देती है जैसे भ्रष्टाचार, आतंकवाद, अशांति, उपद्रव, दंगे, चोरी, डकैती, अपहरण इत्यादि. युवा वर्ग की शक्ति एवं उर्जा का प्रयोग के लिए उन्हें सही शिक्षा और उसके बाद उचित मार्गदर्शन मिलना जरुरी है, वरना युवक भटक जाते हैं और समाज में बुराइयाँ फैलती है.

उम्मीद है की आपको ये लेख बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध (Unemployment Problem and solution Essay in Hindi) पसंद आएगा. अगर ये लेख आपको अच्छा लगा तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर जरुर करें.

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मैं एक कथा लेखिका हूँ, जो अपनी विचारधारा को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करने में विश्वास रखती हूँ। मेरी कहानियां जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास करती हैं।

44 COMMENTS

  1. Thanks you Sonali good suggestion and guidance karne ke liye aage abhi karte rehna Hamara Marg Darshan thank you very so much next day berojgari samasya ka Samadhan ke liye solution batana okay by

  2. धन्यबाद मैंम।मैं बेरोजगारी पर एक उपयुक्त निबंध ढूंढ रहा था।thanks a lot.

  3. It’s a very good and helpful topic. But I want to more in this for assignment file…plz help me may be if this possible plz send me the PDF to 7906011659….I am very thankful to you…Thank you so much

  4. बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेम आपने जिस प्रकार विषय वस्तु का प्रतिपादन किया हे सराहनीय है!
    पुनः कोटी कोटी 🙇 धन्यवाद

  5. good essay and very meaningful

    but in urgent can u write essay on
    मानव शरीर रचना विज्ञान and
    अंतरिक्ष इंजीनियरिंग। …
    and-
    तंत्रिका विज्ञान। …

  6. बहुत सुंदर कार्य है आपका। आपका यह कार्य मानवता के उद्धार में प्राण डालेगा।

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