जैव संतुलन पर निबंध

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जैव संतुलन पर निबंध: हमारी धरती जिसे हम अपनी माँ कहते हैं ये पुरे ब्रह्माण्ड में केवल एक ही ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन की धारा बह रही है. धरती पर चारो तरफ हरयाली, जल, जीवन रूपी वायु, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, भोजन इत्यादि ये सारे अनमोल उपहार मनुष्य को वरदान के रूप में मिला है.

हम मनुष्य ने इस वरदान का बहुत ही गलत फायेदा उठा कर इसे अभिशाप के रूप में बना दिया है. हमारी गलत करतूतों के वजह से धरती पर संतुलन बिगड़ सा गया है.

जिसके वजह से आये दिन धरती में प्रकृति का विकराल रूप अलग अलग देश में देखने को मिल जाता है जैसे बाढ़, चक्रवाती तूफ़ान, सुखा, सुनामी, बादल फटना, धुआँधार बारिश, बवंडर इत्यादि.

प्रकृति में जितनी भी आपदाएं आती हैं वो सभी मानव निर्मित ही होती है. धरती के संसाधान सिमित हैं लेकिन तीव्र गति से हम इसका दोहन कर रहे हैं जब की हमे इनका उपयोग संतुलित मात्रा में करना चाहिए. इसलिए लोगों को और ख़ास कर के हमारे बच्चों को जैव संतुलन के बारे में जागरूकता फैलाना बहुत जरुरी है.

हमारे बच्चे आने वाले भविष्य की रचना करने वाले हैं तो ये हमारी जिम्मेदारी है की हम उन्हें जैव संतुलन कैसे बनाये रखना है और ये क्यों जरुरी है इसकी जानकारी दें. इसलिए यहाँ पर मैंने जैव विविधता पर निबंध पेश किया है जिससे बच्चे इस विषय को अच्छे से समझ पायेंगे.

जैव संतुलन पर निबंध (Essay on Bio Balance in Hindi)

Jaib Sarankhyan Par Nibandh Hindi

धरती में जैव संतुलन को बढाने के लिए हमे जैव विविधता यानि की biodiversity के बारे में जानना बहुत ही जरुरी है. जैव विविधता से तात्पर्य विस्तृत रूप से उन विभिन्न प्रकार के वनस्पति और जिव-जंतु से है जो संसार में एक साथ वास करते हैं.

प्रकृति के निर्माण और इसके अस्तित्व बनाये रखना जैव विविधता की प्रमुख भूमिका है. पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने के लिए जैव विविधता अत्यंत महत्वपूर्ण है. अधिकांश पौधों और जानवरों की कई प्रजातियां एक-दूसरे पर निर्भर हैं.

इसलिए यदि उनमें से एक विलुप्त हो जाता है, तो दूसरे भी संकटग्रस्त होने लगेंगे. इसके अलावा, यह मनुष्यों के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारा अस्तित्व पौधों और जानवरों पर निर्भर करता है.

राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 22 मई को मनाया जाता है. हमारे लिए ये बहुत जरुरी है की हम जैव विविधता की सुरक्षा करें जिससे वातावरण की शुद्धता भी बनी रहे और यह मानवजाति के अस्तित्व को भी बनाये रखे.

विभिन्न प्रकार के पौधे और जिव-जंतु की जातियां धरती पर बराबर मात्रा में वितरित नहीं है, किसी क्षेत्र में ज्यादा है तो कहीं कम है. इसका मुख्य कारण है हमारे ग्रह के जलवायु अवस्था का असमान वितरण होना.

धरती के अलग अलग भागों में मौसम एक दुसरे से बिलकुल अलग है इसी वजह से हर जगह के जीवन जीने की अवस्था भी इन प्राणियों के लिए भिन्न है. जैसे भूचक्र के करीब जिसे अंग्रेजी में equator कहते हैं वहां की गर्म वातावरण और बेहतर उत्पादकता की वजह से जैव विविधता अधिक पाई जाती है.

वहीँ दूसरी तरफ पश्चिमी प्रशांत महासागरों के तट पर समुद्री जैव विविधता उच्चतम स्तर पर पायी जाती है क्योंकि समुद्र के तट पर भी उच्च तापमान होता है इसलिए उस जगह भी ज्यादा प्रजातियाँ पाई जाती है.

भारत में जैव विविधता के हॉटस्पॉट क्षेत्र पश्चिमी घाट और पूर्वी हिमालय में मौजूद है. अब आप सोच रहे होंगे की जैव विविधता हॉटस्पॉट क्या है? एक जैव विविधता हॉटस्पॉट एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ उच्च मात्रा में जैव विविधता पाई जाती है जो मानव गतिविधियों द्वारा आवास की हानि का अनुभव करती है.

एक क्षेत्र को जैव विविधता हॉटस्पॉट कब कहलाता है इसके लिए दो मानदंड होते हैं- पहला की इस क्षेत्र में कम से कम 1500 वेस्क्युलर पौधे या जाति स्थानिक (endemic) रूप में होना चाहिए जिसका मतलब है की ये प्रजाति ग्रह पर कहीं और क्षेत्र में नहीं पाए जाने चाहिए.

दूसरा इसकी मूल प्राकृतिक वनस्पति 30 प्रतिशत या उससे कम होना चाहिए. आज दुनिया भर में 35 हॉटस्पॉट की पहचान की गई है.

पिछले कुछ दशकों से जलवायु की अवस्था में भीषण बदलाव आये हैं जिसके वजह से जैव विविधता की संतुलन में भारी गीरावट हुई है. जैव विविधता में बढते हुए असंतुलन मनुष्य जीवन के लिए प्रतिदिन भयंकर खतरे का मोड़ ले रही है.

पिछले कुछ वर्षों से वातावरण में तीव्र गति से ऑक्सीजन की कमी और कार्बन डाइऑक्साइड की वृद्धि होती जा रही है, जिसका कारण मनुष्य द्वारा अनेक प्रकार के भौतिक संसाधनों का उपयोग जिससे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन होती है तथा वनों की अंधाधुंध कटाई भी इसमें शामिल है.

इस कारण से पृथ्वी पर तापमान में पहले के तुलना में अधिक वृद्धि हो गयी है. इसलिए हमारे लिए ये बहुत जरुरी है की हम वातावरण से प्रदुषण को नियंत्रित कर जैव संतुलन की तरफ शीघ्र ध्यान दे ताकि हम एक ऐसा वातावरण बनाये जिसमे सभी तरह के जिव-जंतु, पशु-पक्षी, मनुष्य सभी के लिए हम एक सुरक्षित ग्रह का निर्माण कर सकें.

जैव विविधता जितनी समृद्ध होगी हमारा वातावरण उतना ही सुव्यवस्थित और संतुलित रहेगा. वर्तमान में जैव विविधता के संरक्षण करने के प्रति सचेष्ट होने के कारण जैव विविधता की तीव्र गति से हानि होना है जो जैव संतुलन को बिगाड़ रहा है.

विश्व में प्रतिवर्ष अनगिनत प्रजातियाँ विलुप्त हो रही है और आने वाले समय में कई लुप्त होने के कगार पर है. इस प्रकार की हानि सम्पूर्ण विश्व के लिए हानिकारक साबित हो सकती है.

हमें जैव विविधता का संरक्षण क्यों करना चाहिए?

जैव विविधता पारिस्थितिकीय व्यवस्था के संतुलन को बनाये रखने के लिए बहुत जरुरी है, इसके अतिरिक्त ये प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सुखा आदि से राहत प्रदान करती है. जैव विविधता पोषण के पुनः चक्रण, मृदा निर्माण, जल तथा वायु के चक्रण, जल संतुलन, कचरों का नियंत्रण आदि के लिए महत्वपूर्ण है.

जैव विविधता हमारे भोजन, कपडा, औषधि, ईधन आदि की आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है. विभिन्न प्रकार के पौधे, वनस्पति और जिव जंतु अपने बुनियादी जरूरतों को एक दुसरे के ऊपर निर्भर होकर पूरा करते हैं.

प्रकृति की संरचना के अनुकूल प्रत्येक जिव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक-दुसरे पर आश्रित है. जैसे मनुष्य अपनी मुलभुत आवश्यकता जैसे खाना, कपडा, ऊर्जा, औषधि, रहने के लिए घर या जगह इत्यादि इन सब जरूरतों को पूरा करने के लिए पेड़-पौधे, जंगल और पशु-पक्षी पर पूरी तरह से निर्भर रहता है ठीक उसी तरह दुसरे प्रजाती के प्राणी भी एक दुसरे के ऊपर निर्भर रहते हैं.

एक प्रजाति के नष्ट हो जाने से दुसरे जीवों पर भी संकट आ जाता है. जैव विविधता की प्रचुरता ही हमारे ग्रह को सभी तरह के प्रजातियों को उत्तम जीवन व्यतीत करने के लायक बनाती है. दुर्भाग्य से बढ़ता हुआ प्रदुषण हमारे जैव विविधता के लिए खतरा बना हुआ है और साथ ही उस पर गलत प्रभाव भी डाल रहा है.

अगर हम इसी तरह प्रदुषण फैलाते रहेंगे तो न जाने कितने पेड़ पौधे और जानवर इस धरती से गायब हो जायेंगे और आज तक ना जाने कितने लुप्त भी हो चुके हैं. ये बहुत गंभीर समस्या है इसलिए जैव विविधता संरक्षण के उपाय की तरफ हमें ध्यान देने की जरुरत है.

जैव विविधता का संरक्षण कैसे करें?

जैव संतुलन बनाने के लिए सबसे पहले मनुष्य को जैव विविधता के महत्व को समझना होगा. हमारे सडको पे दौड़ते वाहन से निकलने वाला धुआं जो वायु में प्रदुषण को फैलता है ये जैव विविधता के ह्रास के कारण है.

इसलिए वातावरण में फैले इस प्रदुषण के स्तर को कम करने के लिए सबसे पहले हमे इन वाहनों के उपयोग को कम करना होगा. पेट्रोल और डीजल के बजाय हमें CNG का उपयोग करना चाहिए जो प्रदुषण रहित होता है.

मनुष्य की जनसँख्या में वृद्धि तथा विकास के साथ साथ जीवों के प्राकृतिक आवास समाप्त होते जा रहे हैं जो जैव विविधता क्षति का प्रमुख कारण है. सड़क व रेल मार्गों के लिए हम वनस्पति और जगलों को उजाड़ रहे हैं. इसलिए हमारी जनसँख्या में हमें नियंत्रण करना होगा.

बड़े बड़े फैक्ट्री और उद्योगों से निकलता दूषित पानी और जेहरिला धुआं जल जीवन और परिवेश को ख़राब कर रहा है. फैक्ट्री से निकलते इस दूषित पानी को किसी दुसरे माध्यम से हटाना होगा. इसी तरह जिन फैक्ट्रीयों से जेहरिले पदार्थ और धुआं निकलते हैं उन्हें बंद करवाना होगा.

मनुष्य इधर उधर कचरा फेक कर भूमि को भी प्रदूषित कर रहा है. इसके अलावा हम प्लास्टिक का इस्तेमाल कर पुरे ग्रह को खतरे में डाल रहा है. इसलिए किसी भी तरह हमें प्लास्टिक का उपयोग बंद करना होगा और हमारे प्रधान मंत्री के चलाये गए स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा बन कर हमें कचरा सही जगह फेकना चाहिए जिससे वायु, जल, भूमि सभी को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है.

वनों की कटाई भी जैव विविधता के स्तर को कम करने का बहुत बड़ा वजह है. वनों की कटाई से न केवल पेड़ पौधों की संख्या घटती जा रही है बल्कि कई जानवरों और पक्षियों से उनका आशियाना भी छीनता जा रहा है जो उनके जीवन को कठिन बना रहा है.

वातावरण को खुशहाल बनाने के लिए इन सभी प्रथाओं पर रोक लगाना होगा. हम सभी को चाहिए की हम अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाएं क्योंकि पेड़ पौधे हमारे लिए, जिव जंतु के लिए और हमारे स्वच्छ वातावरण के लिए अति आवश्यक है.

जानवरों का शिकार आम तौर पर दांत, सिंग, खाल आदि के लिए किया जाता है. अंधाधुंध शिकार के कारण जानवरों की बहुत सी प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं और बहुत सी लुप्त होने की श्रेणी में पहुँच चुकी हैं. इसलिए मनुष्य के शिकार करने पर प्रतिबंध लगाना होगा.

मनुष्य ने अपने फायेदे के लिए प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन कर जैव विविधता पर बोझ बढ़ा दिया है और जब उनके ह्रास के कारण पर्यावरण असंतुलित होने लगा तब उन्होंने जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में सोचना शुरू कर दिया.

ओजोन परत में छिद्र, वायु-प्रदुषण, जल-प्रदुषण, ध्वनि-प्रदुषण, भूमि-प्रदुषण आदि समस्याएं मनुष्यों ने स्वयं ही खड़ी की है और उसे दूर भी हम ही कर सकते हैं. यदि हम ऊपर बताये गए सभी बातों पर विशेष ध्यान देंगे तो वास्तव में हम जैव संतुलन बनाये रखेंगे और अपने अस्तित्व को भी बनाये रखेंगे.

मानव अस्तित्व की रक्षा के लिए जैव संतुलन आवश्यक है, इस सत्य को प्रत्येक मानव को समझना होगा. कई देशों की सरकार लोगों के बिच जैव विविधता के बिगड़ते संतुलन को लेकर जागरूकता फैला रही है और कोशिश कर रही है की इस पर जल्दी नियंत्रण पा लिया जाये.

लेकिन बात वहीँ पर फिर से आकर रुक जाती है की जब तक प्रत्येक आदमी जैव संतुलन के महत्व को नहीं समझेगा तब तक इसमें सुधार नहीं किया जा सकता. इसलिए हम सभी की जिम्मेदारी है की हम सरकार के इस कार्य में हिस्सा लें और अपने वातावरण को शुद्ध बनाये.

मुझे उम्मीद है की आपको ये लेख “जैव संतुलन पर निबंध” पसंद आएगा और साथ इस लेख के जरिये जो मै आपको जानकारी देना चाहती थी वो भी आपको समझ में आ गयी होगी.

अगर आपको ये लेख पसंद आया तो इसे अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि उन्हें भी इसकी पूरी जानकारी मिल सके. कोई सुझाव हो तो हमें निचे comment कर जरुर बताएं.

 

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मैं एक कहानी लेखिका हूँ, जो अपनी विचारधारा को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करने में विश्वास रखती हूँ। मेरी कहानियां जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास करती हैं।

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