मुहर्रम का पर्व दुनिया के कितने देश में मनाया जाता है?

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मुहर्रम कितने देश में मनाया जाता है? मुहर्रम का महिना इस्लाम धर्म का पहला महिना होता है जिसे रमजान के बाद दूसरा सबसे पवित्र महिना माना जाता है. मुहर्रम शब्द का मतलब है निषिद्ध, हराम जिसे अंग्रेजी में forbidden कहा जाता है.

मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए ये महिना शोक और दुःख का महिना होता है क्योंकि इसी दिन कर्बला की जंग में इमाम हुसैन का क़त्ल कर दिया गया था जो हमेसा दिन और इस्लाम के पथ पर चलते थे.

पूरी दुनिया में मुस्लिम आबादी दो भागों में बटी हैं जिन्हें शिया और सुन्नी कहा जाता है. इन दोनों ही वर्गों के लिए मुहर्रम पाक महिना होता लेकिन इन दोनों के लिए इस पर्व को मनाने का अलग अलग कारण है. दोनों संप्रदाय के लिए मुहर्रम का सबसे महत्पूर्ण दिन इस महीने का दसवा दिन होता है जिसे अशुरा कहा जाता है.

इस दिन को शिया और सुन्नी बिलकुल अलग अलग तरीके के प्रथा का पालन करते हैं. सुन्नी मुस्लमान अशुरा के दिन रोज़े रखता है. इनका मानना है की इसी दिन अल्लाह ने मूसा (Moses) और इजराइल के लोगों को Egypt के फ़राओ (Pharaoh) के चंगुल से बचाया था.

दूसरी तरफ शिया की प्रथा सुन्नी समुदाय के लोगों से बिलकुल ही अलग है. अशुरा का दिन उनके लिए इसलिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन 1400 साल पहले कर्बला में धर्म युद्ध हुआ था जिसमे उनके इमाम हुसैन इब्न अली जो पैगम्बर मुहम्मद के पोते और अली के बेटे थे, वो इस जंग में शहीद हुए थे.

कर्बला के इस जंग में इमाम हुसैन जी, उनके परिवार वाले और उनके साथियों का क्रूरता से क़त्ल किया गया था. इसलिए शिया मुहर्रम के दिन हुसैन द्वारा दी गयी कुर्बानी को याद करने के लिए और उन्हें और उनके साथियों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल मातम करते हैं.

मुहर्रम महीने के पहले दस दिनों के दौरान, शिया संप्रदाय इमाम हुसैन, और उनके परिवार के सदस्यों की मृत्यु पर शोक व्यक्त करने और कर्बला की लड़ाई में किए गए बलिदानों का सम्मान करने के लिए उपवास रखता है। शिया मुसलमान इस अवधि में सभी खुशी की घटनाओं में शामिल होने और जश्न मनाने से बचते हैं।

मुहर्रम दुनिया के कितने देश में मनाया जाता है

Muharram Kitne Desho Mein Manaya Jata Hai

मुहर्रम शिया और सुन्नी दोनों ही मनाते हैं लेकिन फर्क बस इतना है की शिया मातम करते हैं, अपने शारीर को तीर चाकुओं से घायल करते हैं, अंगारों पर नंगे पाँव चलते हैं लेकिन सुन्नी ऐसा नहीं करते हैं.

सुन्नी इस दिन का शोक मनाते हैं लेकिन खुदको घायल नहीं करते क्योंकि उनका मानना है की खुद को घायल करने की इजाज़त अल्लाह नहीं देता. लेकिन मुहर्रम का 11वें दिन शिया और सुन्नी दोनों ही मुहर्रम ताजिया सजाकर जुलुस निकालते हैं.

इस ताजिया के जरिये कर्बला में शहीद हुए इमाम हुसैन और दुसरे लोगों को श्रद्धांजलि देते हैं और फिर उस ताजिये को इमाम हुसैन का कब्र बनाकर उसे शान से दफन कर दिया जाता है.

अब यहाँ पर सवाल आता है की मुहर्रम का पर्व दुनिया के कितने देश में मनाया जाता है? जैसा की मैंने पहले ही कहा की मुहर्रम एक पवित्र महिना होता है जो हर मुसलमान के लिए अहमियत रखता है इसलिए मुहर्रम पर्व हर उस देश में मनाया जाता है जहाँ मुस्लिम community के लोग रहते हैं.

मुहर्रम जिन देशों में मनाया जाता है, उन देशों के नाम हैं- India, Iran, Iraq, Greece, Pakistan, Lebanon, Bangladesh, Afghanistan, Bahrain, Indonesia, Saudi Arab, Israel, Chicago इत्यादि.

इमाम हुसैन की शहादत की याद में ही दुनियाभर के शिया मुसलमान इस दिन मुहर्रम का मातम मनाते हैं. भारत में जगह जगह पर मुहर्रम का ताजिया और जुलुस देखने को मिलता है, ज्यादातर ये जुलुस जम्मू कश्मीर, नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार के राज्यों में देखने को मिलता है.

जहाँ पर लोग काले रंग के कपडे पहन, नंगे पैर मस्जिद की ओर जाते हैं, या हुसैन या हुसैन का नारा लगते हुए शोक मनाते हैं और मस्जिद पहुँच कर खुदा से दुआ करते हैं. मुहर्रम की तारीख हर साल बदलती रहती है. इस साल मुहर्रम 2020 में 29 August को पुरे भारत में मनाई जाएगी.

मुझे उम्मीद है की आपको ये लेख पसंद आएगा और ये भी पता चल गया होगा की मुहर्रम के दिन शिया मातम क्यों करते हैं. इस लेख को अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करिए और इस लेख से जुड़े आपके क्या विचार हैं ये भी हमे निचे कमेंट कर जरुर बतायें.

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मेरा नाम सबीना है मैं इस ब्लॉग की फाउंडर हूँ. इस ब्लॉग के जरिये आपको बहुत सारे विषय के बारे में जानकारी देना मेरा मकसद है. मुझे नॉलेज शेयर करना बहुत पसंद है. अगर आप मेरे ज़रिए कुछ सिख पाएँगे, तो मुझे बहुत खुशी मिलेगी.

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