प्रदूषण एक भयंकर संकट पर निबंध

3

प्रदूषण एक भयंकर संकट निबंध (Essay on Pollution in Hindi): प्रदूषण एक ऐसा शब्द है जिसके बारे में आज बच्चे बच्चे वाकिफ़ हैं. प्रदूषण का अर्थ है दूषित होना. और मनुष्य इस बात से बिलकुल इनकार नहीं कर सकता की ये जो प्रदूषण की समस्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है इसका कारण भी वो खुद ही है. मानव गतिविधियों के कारण प्रकृति और वातावरण को कई तरह से क्षति पहुँचती है.

आज हमारा घर स्वच्छ, जगमगता हुआ और वातानुकूलित है लेकिन हमारा बाहरी पर्यावरण दूषित है. प्रदूषण हमारे पृथ्वी को बुरी तरह से बर्बाद कर रहा है इसलिए हमें इससे हो रहे दुशप्रभाव के बारे में सोच समझकर इसे जल्द से जल्द रोकना होगा.

ये जो पृथ्वी है ये सभी मानव, पेड़-पौधे और जिव जंतुओं को बिना भेदभाव किये शांतिपूर्वक जीवन जीने के लिए भूमि, स्वच्छ जल और वायु प्रदान करती है. लेकिन मानव अपने फायदे के लिए सभी तरह के प्रजाति के विनाश का संकट बनता जा रहा है.

इसलिए ये हर एक व्यक्ति का कर्तव्य है की वो प्रकृति के मूल्य को समझे और उसका संरक्षण करने के लिए परस्पर आगे बढ़कर अपना योगदान दे.

आज के इस लेख में हम प्रदूषण एक भयंकर संकट पर निबंध पेश कर रहे हैं जिसमे प्रदूषण के दुष्परिणाम और इससे मुक्ति पाने के उपाय के बारे में हम आपको बताने वाले हैं.

प्रदूषण पर निबंध लेख या इससे जुड़े कोई भी विषय के बारे में आप अपने बच्चों को पढने और उनसे सिख लेने के लिए प्रोत्साहित करें क्योंकि ये बच्चे ही आगे चलकर हमारे देश का भविष्य सुधार सकते हैं.

प्रदूषण एक भयंकर संकट पर निबंध – Essay on Pollution in Hindi

Pradushan Ek Bhayankar Sankat Par Nibandh Hindi

प्रदूषण की समस्या आज मानव समाज के सामने खड़ी सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है. इसकी चपेट में मानव समुदाय ही नहीं, समस्त जीव समुदाय आ गया है. इसके दुष्प्रभाव चारों ओर दिखाई दे रहे हैं. संसार के सारे देश इससे होनेवाली हानियों को लेकर चिंतित हैं. पहले के समय में जब लोग जंगलों में रहते थे तब वो प्रकृति के संसाधनों को प्राप्त करते थे साथ ही उसका संरक्षण भी करते थे.

हम जितना भी प्रकृति से लेते हैं, प्रकृति उतने संसाधन दोबारा पैदा कर देती है. इसी बात का फायदा मनुष्य ने उठाया और उसने संसाधनों का अंधाधुंध उपयोग करना शुरू कर दिया इस बात का बिना परवाह किये की भविष्य में ये हमारे लिए ख़तरा भी बन सकता है.

जब से मनुष्य ने प्रकृति के साथ मनचाही छेड़छाड़ की है, तब से प्रकृति मनुष्य पर क्रोधित है. मनुष्य ने अपने भवन सुन्दर बनाने के लिए वन काटे, पहाड़ तोड़े, वृक्ष काटे, परमाणु भट्टियाँ बनाई, प्लास्टिक जैसी घातक वस्तुएँ बनाई, परमाणु हथियारों, बमों, कीटनाशकों का अनावश्यक निर्माण किया, जनसंख्या में वृद्धि हुई जिससे धरती का उपयोग घर बनाने के लिए ज्यादा किया गया.

हरे भरे वनों को काटा गया, मशीनों ने इस काम में और तेज़ी ला दी जिससे वातावरण का संतुलन खतरे में पड़ गया है. ओध्योगिक क्रांति का प्रभाव लोगों को पर्यावरण पर दिखने लगा, factory से निकलने वाले जेह्रिले गैसों ने वायु को प्रदूषित किया. इसी तरह धीरे धीरे प्रदूषण की समस्या हमारे सर पर आकर खड़ी हो गई.

प्रदूषण को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, क्योंकि इसका प्राकृतिक तत्वों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो पृथ्वी पर मौजूद जीवन के लिए आवश्यक हैं, जैसे कि पानी और हवा। वास्तव में, इसके बिना जानवर, मनुष्य और पौधे जीवित नहीं रह सकते हैं.

प्रदूषण के प्रकार – Types of Pollution in Hindi

प्रदूषण कई प्रकार का होता है जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भूमि प्रदूषण.

वायु प्रदूषण – Air Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण का अर्थ है वायु में कुछ तत्वों के अनावश्यक रूप से मिल जाने से वायु का प्रदूषित हो जाना. वायु प्रदूषण वर्तमान समय पुरे विश्व में विशेष रूप से ओध्योगिकीकरण के कारण बड़े शहरों में सबसे बड़ी समस्या है.

कारखानों से निकलने वाली दूषित गैसें, वाहनों से निकलने वाली गैसें, कचरे से निकलने वाली गैसें, प्लास्टिक के जलने से निकलने वाली गैसें, धुल, मिटटी आदि वायु प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत हैं. फेक्टोरियों और मोटर वाहनों से उत्सर्जित हानिकारक और विषैली गैसें मौसम, पेड़-पौधों और मनुष्य सभी को बहुत हानि पहुंचाती है.

जिस हवा को हम साँस के द्वारा प्रत्येक क्षण लेते हैं, वो पूरी तरह से प्रदूषित है जो हमारे फेफड़ों और पुरे शरीर में रक्त परिसंचरण के माध्यम से जाती है और अनगिनत स्वस्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का कारण बनती है. वायु प्रदूषण के कारण प्रदूषित हवाएं पेड़ पौधों, पशुओं और मनुष्य के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से नष्ट करने का कारण बनती है.

वायु प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने का भी कारण है क्योंकि वातावरण का तापमान ग्रीन हाउस गैसों के स्तर के बढ़ने के कारण ही बढ़ रहा है. लोग अशुद्ध वायु में साँस लेकर अनेक प्रकार की बीमारियों जैसे कैंसर, हार्ट अटैक, अस्थमा, फेफड़े की बीमारियाँ आदि का शिकार हो रहे हैं.

वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है इससे बचने का समाधान निकालना होगा, इसके लिए हमें सबसे पहले लोगों को जागरूक करना होगा क्योंकि मनुष्य के द्वारा किये कार्यों के वजह से ही आज वायु प्रदूषण जैसे समस्या सामने आई है.

सरकार द्वारा तो बहुत से योजनाये चलाई जा रही है लेकिन जब तक लोगों में जागरूकता नहीं होगी हम इस समस्या को ख़त्म नहीं कर सकते हैं.

वन संरक्षण और वृक्षरोपण वायु प्रदूषण को कम करने का एक प्रभावी इलाज है क्योंकि वृक्षों के द्वारा ही carbon dioxide की मात्रा को कम किया जा सकता है. इसके साथ साथ वाहनों का उपयोग कम करना होगा, कारखानों की जहरीली गैसों का सही रूप में रूपांतरण करना होगा जिससे इस समस्या से छुटकारा पाया जा सके.

जल प्रदूषण- Water Pollution in Hindi

धरती पर जीवन का सबसे मुख्य स्त्रोत ताज़ा पानी है. कोई भी जीव जंतु कुछ दिन तक बिना भोजन के गुजार सकता है लेकिन एक मिनट भी बिना पानी और oxygen के जीवन का कल्पना करना मुश्किल है. जल प्रदूषण की परिभाषा है नदी, झीलों, तालाबों और समुद्र के पानी में ऐसे पदार्थ मिल जाते हैं जो पानी को जीव जंतुओं और प्राणियों के प्रयोग करने के लिए योग्य नहीं रहता है.

बढ़ती जनसंख्या के कारण तेज़ ओध्योगिकीकरण और अनियोजित शहरीकरण बढ़ रहा है जो बड़े और छोटे पानी के स्त्रोतों में ढेर सारा कचरा छोड़ रहे हैं जो जल प्रदूषण का कारण बन रहे हैं.

उधोयोगों और कल कारखानों से जो रासायनिक कचरा निकलता है उसे सीधे नदियों और तालाबों में छोड़ दिया जाता है वह बहुत अधिक जेह्रिला होता है और यह नदियों और तालाबों को भी जेह्रिला बना देता है. हमारे शहरों और गावों से जो कचरा बाहर निकलता है उसे भी नदियों और तालाबों में फेंक दिया जाता है.

प्लास्टिक के ढेर के अधिक बढ़ने पर उसे समुद्र में फेंक दिया जाता है. लोग कपड़ों और बर्तनों को घरों पर धोने की जगह पर नदी या तालाबों के आस पास जाकर धोते हैं जिसकी वजह से साबुन, बर्तन की गंदगी, सर्फ़ का पानी सभी नदी और तालाब के पानी में मिल जाते हैं.

जब हम प्रदूषित पानी पीते हैं, खतरनाक रसायन और दुसरे प्रदूषक शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और शरीर के सभी अंगों के कार्यों को बिगाड़ देते हैं और हमारा जीवन खतरे में पड़ जाता है. ऐसे खतरनाक रसायन पशु और पौधों के जीवन को भी बुरी तरह से प्रभावित करते हैं.

जब पौधे अपनी जड़ों के द्वारा गंदे पानी को सोखते हैं, वो बढ़ना बंद कर देते हैं और मर या सुख जाते हैं. जहाजों और उद्योगों से छलकते तेल की वजहसे हजारों समुद्री पक्षी मर जाते हैं.

जल स्त्रोतों के पास गंदगी फ़ैलाने, साबुन लगाकर नहाने तथा कपडे धोने पर प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए. पशुओं को जल में नहलाया जाता है जिससे उनके शरीर के रोगाणुओं के जल में फैलने की संभावना रहती है इसलिए पशुओं को नदियों, तालाबों आदि में नहलाने पर प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए.

नगरों व शहरों से निकलने वाला मल कूड़ा-करकट आदि जल में नहीं डालना चाहिए. प्लास्टिक को समुद्र में ना फेंककर उनको recycle करके उन्हें ऊर्जा पैदा करने के प्रयोग में लाना होगा. जिन कारखानों से ज्यादा प्रदूषण होता है उन्हें बंद करने के आदेशों को जारी करना चाहिए. ये सभी जल प्रदूषण के उपाय हैं जिनका पालन हर एक व्यक्ति को करनी चाहिए

ध्वनि प्रदूषण – Sound Pollution in Hindi

वायुमंडल में ध्वनि तरंगों का संतुलन भी आवश्यक है. स्वस्थ मनुष्य की सुनने की क्षमता 40 से 60 Decibel होती है. इससे अधिक ध्वनि मनुष्य को बहरा, तनावग्रस्त, अधीर, अशांत और उत्तेजित कर देती है.

ध्वनि प्रदूषण उस स्थिति में उत्पन्न होता है जब पर्यावरण में आवाज़ का स्तर सामान्य स्तर से बहुत अधिक होता है. आजकल वाहनों भोपुओं, लाउडस्पीकरों, फेक्ट्रियों, मशीनों के सामूहिक शोर से रक्तचाप, मानसिक तनाव, बहरापन आदि बीमारियाँ बढ़ रही हैं.

ध्वनि प्रदूषण जंगली जीवन, पेड़ पौधों के जीवन और मनुष्य जीवन को बहुत बड़े पैमाने पर प्रभावित करती है. सामान्य सामाजिक उत्सव जैसे शादी, पार्टी, पब, क्लब, डिस्को या पूजा स्थल के स्थान मंदिर, मस्जिद आदि आवासीय इलाकों में शोर उत्पन्न करते हैं. शहरों में बढ़ते हुए यातायात के साधन जैसे कार, बाइक, ट्रक, बस, हवाई जहाज, ट्रेन आदि तेज़ शोर का निर्माण करते हैं.

दिन प्रतिदिन बढ़ता ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों की काम करने की क्षमता और गुणवत्ता को कम करता है. गर्भवती महिलाओं को सबसे अधिक प्रभावित करता है और चिडचिडेपन और गर्भपात का कारण बनता है.

ज्यादे शोर होने से पशु अपने मस्तिष्क पर अपना नियंत्रण खो देते हैं और बहुत खतरनाक हो जाते हैं क्योंकि तेज़ आवाज़ उनके nervous system को प्रभावित करता है. यह पेड़ पौधों को भी प्रभावित करता है जिसके कारण ख़राब किस्म का उत्पादन होता है.

अगर जल्द ही ध्वनि प्रदूषण रोकने के उपाय के बारे में नहीं किया गया तो यह आने वाले भविष्य में बहुत ही बड़ी समस्या उत्पन्न कर सकता है. ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए उद्योगों को आबादी क्षेत्र से दूर रखना होगा, बेवजह हॉर्न बजाना बंद करना होगा, लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल कम करना होगा, traffic नियमों का पालन करना होगा जिससे की सड़कों पर जाम नहीं लगेंगें तो लोग लगातार हॉर्न नहीं बजायेंगे, कम आवाज़ करने वाली मशीनों का उपयोग करना होगा.

हालाँकि सरकार द्वारा ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए प्रयास किये जाते हैं लेकिन जब तक लोग स्वयं इसको कम करने के बारे में नहीं सोचेंगे तब तक ध्वनि प्रदूषण को कम नहीं किया जा सकता है.

भूमि प्रदूषण – Soil Pollution in Hindi

भूमि प्रदूषण इन दिनों एक बड़ी समस्या है खासकर शहरी क्षेत्रों में. भूमि प्रदूषण अर्थ– भूमि में किसी भी तरह का रासायनिक या जैविक बदलाव है जिससे पर्यावरण को हानि पहुँचती है.

भूमि प्रदूषण ठोस कचरे के कारण होता है जो शहरीकारण के वजह से उद्योगों की बढ़ती संख्या के कारण बढ़ रही है. भूमि प्रदूषण के कारण भूमि की उर्वरकता शक्ति कम होती जा रही है और यह समस्या ज्यादातर शहरों में है.

घरों में प्रतिदिन सफाई करने के पश्चात गंदगी निकलती है, इसमें जहाँ एक ओर धुल-मिट्टी होती है, वहीँ दूसरी ओर कागज, कपड़ा, प्लास्टिक, लकड़ी, धातु के टुकड़े आदि भी होते हैं. इसके अलावा उद्योगों से निकले अवशिष्ट पदार्थ, खदानों से निकला व्यर्थ मलबा, कृषि का कूड़ा-करकट और उन सबसे अलग मल-मूत्र की गंदगी होती है.

ये सभी अपशिष्ट पदार्थ एकत्र कर किसी स्थान पर डाल दिया जाता है, जहाँ पर यह पदार्थ सड़ता रहता है. इसमें विभिन्न जीवाणु उत्पन्न होते रहते हैं जो प्रदूषण और अंत में रोग का कारण बनते हैं.

भूमि के दूषित होने के कारण पर्यावरण और जीवन पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. दूषित भूमि पर फसलें सही से नहीं उगती है और जीवों को उच्च भोजन नहीं मिलता है.

भूमि की उर्वरक शक्ति को बरक़रार रखने के लिए और मानव कल्याण के लिए हमें भूमि प्रदूषण को रोकने के उपाय करना होगा जिसके लिए हमें खुले में कचरा नहीं फेकना चाहिए, प्लास्टिक का प्रयोग करना बंद कर देना चाहिए और अधिक से अधिक पेड़ लगाकर हमें भूमि प्रदूषण को रोकना होगा.

भूमि मनुष्य की मुलभुत आवश्यकता है और इसे स्वच्छ रखना हम सब का कर्तव्य है. हर व्यक्ति को ही वातावरण को साफ़ रखने की सोच रखनी होगी ताकि सम्पूर्ण विश्व को स्वच्छ रखा जा सके और सभी लोगों को स्वस्थ रखा जा सके.

प्रदूषण के दुष्परिणाम

प्रदूषण पर्यावरण पर बहुत खतरनाक और जोखिम प्रभाव डालता है जो पर्यावरण के प्राकृतिक संतुलन को खराब कर देता है। पर्यावरण के प्राकृतिक संसाधनों जैसे वायु, जल या मिट्टी में प्रदूषकों के शामिल होने से पर्यावरण का ह्रास होता है।

मनुष्य की इस अंधाधुंध प्रगति का दुष्परिणाम यह हुआ की हमारा सम्पूर्ण परिवेश जीवन घातक तत्वों से भर गया है. पेड़ काटने के कारण वातावरण में oxygen की मात्रा निरंतर कम हो रही है. वायु में carbon dioxide, कारखानों का धुआँ, तेजाबी रसायन, विषैली गैसें, radioactive किरणें, खतरनाक जीवनाशक तत्व असंतुलित रूप से घुल गए हैं.

आज प्रदूषण के कारण शहरों की हवा इतनी दूषित हो गई है की मनुष्य के लिए साँस लेना मुश्किल हो गया है. महानगरों में स्वच्छ वायु में साँस लेने को तरस गया है आदमी. वायु प्रदूषण के कारण आँखों में जलन, त्वचा में एलर्जी, साँस में कष्ट, डेंगू आदि कितनी ही प्राणघातक बीमारियाँ जन्म ले रही है.

अविवेकपूर्ण ओद्योगीकरण प्रयोगों के कारण विश्व भर का मौसम चक्र बिगड़ गया है. धरती पर गर्मी बढ़ रही है. Ozone layer में कई छेद हो चुके हैं. नदियों और समुद्रों में जीव जंतु मर रहे हैं. वैज्ञानिकों की चेतावनी है की यदि इसी प्रकार ऊर्जा का प्रवाह होता रहा तो हिमखंड पिघलेंगें, बाढें आएँगी, समुद्र जल में वृद्धि होगी, रहने योग्य भूमि और कम होगी.

कारखानों से निकलने वाला कचरा नदियों और नालों में बहा दिया जाता है, इससे होनेवाले जल प्रदूषण के कारण लोगों के लिए अब पीने लायक पानी मिलना मुश्किल हो गया है.

प्रदूषण से मुक्ति पाने के उपाय

प्रदूषण से मुक्ति का सर्वोत्तम उपाय है इस समस्या के प्रति सचेत होना. अन्य प्रदूषण रोकने के उपाय है- आसपास पेड़ लगाना, हरियाली को अधिकाधिक स्थान देना, वनों की कटाई पर रोक लगाना, लकड़ी के नए विकल्प खोजना, अनावश्यक शोर को कम करना.

पोली बैग और प्लास्टिक के बर्तनों और वस्तुओं का उपयोग बंद करना इसके जगह पर काग़ज या कपड़े की थैलियों का उपयोग करें. घरों का कचरा बाहर खुले में नहीं फेंकना चाहिए, खनिज पदार्थ भी सावधानी से प्रयोग करने चाहिए ताकि भविष्य के लिए भी प्रयोग किया जा सके.

बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित नहीं किया जा सकता लेकिन इसके प्रभाव को अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर कम किया जा सकता है. क्योंकि पेड़ केवल हमें छाया या शुद्ध हवा ही नहीं देते बल्कि पेड़ वातावरण का carbon dioxide गैस सोखते हैं और वाहनों और उद्योगों द्वारा उत्सर्जित विभिन्न हानिकारक गैसों को भी अवशोषित करते हैं.

अधिक पेड़ लगाना का मतलब प्रदूषण को कम करना है. इन सबके अलावा पेड़ जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और मिटटी के कटाव को रोकने में भी मदद करते हैं.

प्रदूषण पर उपसंहार

प्रदूषण को रोकना बहुत अहम है, पर्यावरणीय प्रदूषण आज की बहुत बड़ी समस्या है, इसे यदि वक्त पर नहीं रोका गया तो हमारा समूल नाश होने से कोई भी नहीं बचा सकता. पृथ्वी पर उपस्थित कोई भी प्राणी इसके प्रभाव से अछूता नहीं रह सकता.

पेड़-पौधे, पशु-पक्षी आदि सभी का जीवन हमारे कारण खतरे में पड़ा है. इनके जीवन की रक्षा भी हमें ही करनी है, इनके अस्तित्व से ही हमारा अस्तित्व संभव है.

मुझे उम्मीद है की आपको ये लेख प्रदूषण एक भयंकर संकट पर निबंध पसंद आएगा और आपको यहाँ से ये भी सिखने को मिला की प्रदूषण का हमारे और अन्य प्रजातियों के ऊपर कितना गहरा असर पड़ता है.

प्रदूषण का कारण भी हम मनुष्य ही हैं इसलिए इसके रोकने के उपायों को स्वयं पर लागू करना और समाज को इसके महत्व के बारे में बताकर जागरूक करना भी हमारा ही कर्तव्य है. इसलिए इसकी शुरुआत आज से ही करिए और इस लेख को ज्यादा से ज्यादा अपने सगे सम्बन्धी के साथ शेयर करिए.

Previous articleसुंदर पिचाई की जीवनी | Sundar Pichai Biography In Hindi
Next articleजवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय
मैं एक कथा लेखिका हूँ, जो अपनी विचारधारा को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करने में विश्वास रखती हूँ। मेरी कहानियां जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास करती हैं।

3 COMMENTS

  1. Comment: मेम आपकी आर्टिकल हमारे मोबाइल में बीच से आधी कटि हुई नजर आ रही है। में नही जानता ये सिर्फ मेरे मोबाइल में हो रही है या आपका ब्लॉग मोबाइल फ्रेंडली है या नही ये आप चेक कर लीजिएगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here