रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है ग्रंथों के अनुसार

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हमारा देश भारत त्योहारों और खुशियों की भूमि है जहाँ हर एक त्यौहार बड़े ही उत्साह और हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है. प्रत्येक मौसम के साथ साथ अनेक त्यौहार की सूची एक के बाद एक तैयार हो जाती है.

ये महिना सावन का महिना है और हर साल इसी महीने में श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है.

रक्षा बंधन भारत के सबसे प्रसिद्ध पर्वों में से एक है. रक्षा बंधन का ये त्यौहार भाई बहन के प्रेम और कर्तव्य के सम्बन्ध को समर्पित है.

इस दिन हर बहन अपने भाई की कलाई में रक्षा का सूत्र बाँधती है जो पवित्रता, शुद्धता और अटूट बंधन का प्रतिक है. रक्षाबंधन हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है. यह परंपरा हमारे भारत में काफी प्रचलित है और इसे श्रावण पूर्णिमा का बहुत बड़ा त्यौहार माना जाता है.

हम सालों से इस त्यौहार को अनादपूर्ण मनाते आ रहे हैं लेकिन क्या आपको इस त्यौहार से जुड़े सभी चीजों के बारे में जानकारी है? जैसे- रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है? रक्षा बंधन की उत्पत्ति कैसे और कहाँ से हुई? रक्षा बंधन कब मनाया जाता है? इन सभी सवालो के जवाब मैं इस लेख रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है ग्रंथों के अनुसार के जरिये बताने वाली हूँ.

रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है ग्रंथों के अनुसार?

Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai Hindi

रक्षा बंधन जिसे हम राखी भी कहते हैं ये त्यौहार सम्पूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है. रक्षा बंधन पर विशेष रूप से बहने अपने भाई के हाथों में राखी बाँधती है और उनके लिए लम्बी आयु की कामना भी करती है.

भाई भी अपनी बहन की सदैव रक्षा करने का वचन देता है. ऐसा माना जाता है की राखी के रंगबिरंगे धागे भाई बहन के प्यार के बंधन को मजबूत करते हैं. ये एक ऐसा पावन पर्व है जो भाई बहन के पवित्र रिश्ते को पूरा आदर और सम्मान देता है.

हालाँकि ये मुख्य रूप से हिन्दुओं का त्यौहार है लेकिन फिर भी इसे भारत में सभी धर्म के लोग उसी उत्साह से मनाते हैं. रक्षा बंधन पारिवारिक लोगों के बिच मेल मिलाप बढ़ाने वाला त्यौहार है साथ ही ये भाई बहन के बिच के रिश्ते को और गेहरा बना देता है.

इस पावन अवसर पर परिवार के सभी सदस्य इक्कठे होते हैं, विवाहित बहने ससुराल से मायका अपने भाई को राखी बाँधने आती है. इस तरह घर की रौनक बढ़ जाती है और जो लोग सालों से एक दुसरे से दूर रहते हैं उन्हें भी एक दुसरे के करीब आने का मौका मिल जाता है.

इस तरह राखी के दिन सभी परिवार एक हो जाते हैं और राखी, उपहार और मिठाई देकर अपना प्यार साझा करते हैं.

रक्षा बंधन की रूपरेखा – रक्षा बंधन पर निबंध

रक्षा बंधन का त्यौहार केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनाया जाता है जैसे नेपाल और मौरीसिअस. दुसरे बड़े देशों में जहाँ भारतीय लोग रहते हैं वहां पर भी राखी का पर्व जोर शोर से मनाया जाता है जैसे कैनाडा, ऑस्ट्रेलिया, USA और UK.

भारत में रक्षा बंधन के उत्सव को और भी कई नमो से जाना जाता है, अलग अलग प्रान्तों में इस पर्व को अलग अलग नाम दिया गया है. जैसे की उत्तरीय दिशा और पश्चिमी भारत में रक्षा बंधन के त्यौहार को लोग “राखी पूर्णिमा” के रूप में मनाते हैं.

इसी समय में दक्षिणीय भारत में इस पर्व को “अवनी अवित्तम” या “उपकर्मम” का नाम दिया गया है. पश्चिमी घाट के क्षेत्र में राखी के पर्व को “नारियल पूर्णिमा” कहा जाता है.

अब सवाल आता है की रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है ग्रंथों के अनुसार? रक्षा बंधन एक सामाजिक, पौराणिक, धार्मिक और एतिहासिक वजहों से केवल भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में प्रचलित है. ग्रंथों के अनुसार रक्षा बंधन मनाने के पीछे बहुत सी पौराणिक कथाएँ हैं जो रक्षा बंधन का इतिहास बयाँ करता है.

ग्रंथों के अनुसार रक्षा बंधन की कथा कुछ इस तरह है- भगवान गणेश जी के दो बेटे थे शुभ और लाभ. राखी के दिन गणेश जी के दोनों बालक बहुत ही उदास और परेशान थे क्योंकि उनकी कोई बहन नहीं थी जो उनके हाथों में राखी बाँध सके.

तो उन्होंने अपने पिता से प्रश्न किया की उनकी एक भी बहन क्यों नहीं है और वो दोनों नन्हे बालक जिद्द करने लगे की राखी का त्यौहार मनाने के लिए उन्हें एक बहन चाहिए लेकिन गणेश जी ने उनके इस इच्छा को पूरा नहीं किया.

उसी वक़्त उनके पास नारद मुनि जी पधारे उन्होंने गणेश जी को बेटी रखने के लिए मनाया और कहा की बेटी होने पर वो गणेश जी के और उनके पुत्रों के जीवन को समृद्ध बना देगी और उनकी झोली खुशियों से भर देगी.

गणेश जी नारद मुनि की बात सुनकर बेटी के लिए राज़ी हो गए और उनकी पत्नी रिद्धि और सिद्धि से उत्पन्न होने वाले पवित्र लौ से उन्होंने अपनी बेटी को बनाया जिनका नाम उन्होंने माता संतोषी रखा था. उस दिन से रक्षा बंधन आजतक मनाया जा रहा है.

रक्षा बंधन की काहानी

रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है इसकी कथा – एक राजा थे बलि उन्होंने 100 यज्ञ पूरा करने के बाद अनंत शक्तियां प्राप्त कर ली थी उसके बाद उन्होंने स्वर्ग पर अपना राज करने की कोशिश की थी. राक्षस बलि और वर्षा और आकाश के देवता इंद्र देव के बिच जंग छिड़ गयी थी.

अशुर बलि ने इंद्र देव को उस जंग में हराकर उनका बहोत अपमान किया था. तो देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु जी से सहायता की गुहार लगाई थी. विष्णु जी ब्राह्मण के रूप में भिक्षा मांगने के लिए राजा बलि के पास गये.

राजा बलि ने गुरु के मना करने के बाद भी तिन पग भूमि दान में दे दी. वामन भगवान ने तिन पग में ही आकाश, पाताल और धरती को नापकर राजा बालि से स्वर्ग, पाताल और धरती पर रहने का हक़ छीन लिया और उन्हें रहने के लिए रसातल में भेज दिया था.

राजा बलि ने रसातल में भी कड़ी तपस्या करके अपनी भक्ति की शक्ति से भगवान विष्णु से यह वरदान ले लिया था की वे हर वक्त उसके सामने रहेंगे. इस बात से लक्ष्मी जी बहुत चिंतित हो गयीं.

लक्ष्मी जी नारद जी की सलाह से राजा बलि के पास गयी और उन्हें राखी बांधकर अपना भाई बना लिया और अपने पती को अपने साथ वापस ले आई.

जिस दिन लक्ष्मी जी ने राजा बलि को अपना भाई बनाया था उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा की तिथि थी. तभी से हर श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन बहन अपने भाई को राखी बाँधती है.

ऐसी बहुत सी कथाएँ प्रचलित हैं जहाँ से रक्षा बंधन प्रथा की उत्पत्ति का व्याख्या मिलता है. लेकिन एक और ऐसी धार्मिक कथा है भगवान इंद्र और उनकी पत्नी देवी इन्द्राणी का जहाँ से रक्षा बंधन उत्सव का अनुगमन माना जाता है.

हिन्दू पुराण विद्या के अनुसार एक बार देवताओं पर अशुरों ने आक्रमण कर दिया था जिसमे सभी देवता दानवों से हारने की चर्म सीमा पर थे. भगवान इंद्र देव घबराकर अपने गुरु बृहस्पति के पास उस युद्ध में जितने की सलाह लेने के लिए पहुँचे.

उस वक़्त उनके गुरु ने उन्हें एक सलाह दी की उन्हें अपनी अर्धांगनी के हाथों से पवित्र धागे से बनी राखी को अपने कलाई पर बंधवानी होगी. गुरु बृहस्पति के कहे अनुसार इंद्र ने उनकी आज्ञा का पालन किया.

जब देवी इन्द्राणी ने इंद्र देव के हाथों में सभी बुराई से रक्षा का प्रतिक मानकर वो पवित्र राखी बाँधा तो अशुरों से हो रही युद्ध में देवताओं को जीत हासिल हुई.

संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था. लोगों का विश्वास है की इंद्र इस लड़ाई में इससी पवित्र धागे की शक्ति से ही विजयी हुए थे. उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बाँधने की प्रथा चली आ रही है.

Why Raksha Bandhan is Celebrated in Hindi

रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है इसका उल्लेख महाभारत के श्री कृष्ण और द्रौपदी की कहानी में भी मिलता है- लोगों की रक्षा करने के लिए श्री कृष्ण जी को दुष्ट राजा शिशुपाल का वध अपने सुदर्शन चक्र से करना पड़ा था.

इस दौरान कृष्ण जी की ऊँगली में गहरी चोट आई थी जिसे देख कर द्रौपदी ने अपने वस्त्र से एक टुकड़ा चिर कर उनके हाथों में पट्टी बाँध दिया. भगवान कृष्ण को द्रौपदी के इस कार्य से काफी प्रसन्नता हुई और उन्होंने उनके साथ एक भाई बहन का रिश्ता निभाया.

वहीँ उन्होंने उनसे ये भी वादा किया की मुश्किल समय में वो हमेसा उनके साथ खड़े रहेंगे. कुछ दिनों बाद जब द्रौपदी को उनके पति पांच पांडव द्वारा कुरु सभा में जुए के खेल में हारना पड़ा तब राजकुमार दुषाशन ने द्रौपदी का चिर हरण करने का घोर अपराध किया.

इसपर श्री कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा द्रौपदी द्वारा बांधे गए कपडे के टुकड़े से दैव शक्ति से उनकी रक्षा की थी और भरी सभा में उनकी लाज बचाई थी. उस समय से लेकर अब तक बहन भाई को राखी बाँध रही है और भाई भी उनको उनकी रक्षा का वचन देते हैं.

रक्षा बंधन कितनी तारीख को है? रक्षा बंधन 2020 कब है?

वर्षा ऋतू का आरंभ होते ही सबके मन में बस एक ही सवाल आता है की रक्षा बंधन कब है? यूँ तो हर साल रक्षा बंधन श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जो आम तौर पर अगस्त के महीने में ही पड़ता है. इस साल रक्षा बंधन 2020 में 3 अगस्त सोमवार के दिन मनाया जायेगा.

ऐसे में आपको पता होना चाहिए की रक्षा बंधन बांधने का टाइम क्या है? यानि रक्षा बंधन का शुभ समय क्या है? इस साल रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त सुबह 09:28 से लेकर शाम के 09:14 बजे तक रहेगा, इस दौरान कभी भी बहन अपने भाई को राखी बाँध सकती है.

क्या आपको पता है की रक्षा बंधन अब तक 15 अगस्त को कितनी बार आ चूका है और कौन कौन साल में 15 अगस्त को रक्षा बंधन पड़ा था या 15 अगस्त और रक्षाबंधन कब कब एक साथ पड़े हैं? 2019 से पहले भी रक्षा बंधन 15 अगस्त को मनाया जा चूका है. हमारे लिए स्वतंत्रता दिवस का महत्व सन 1947 से प्रारंभ हुआ है.

तो मै उसी साल से लेकर रक्षा बंधन अब तक कितनी बार स्वतंत्रता दिवस के साथ मनाया गया है उसकी जानकारी दूंगी. 1947 से लेकर 2019 तक रक्षा बंधन की तिथि सन 1962, 1981 और 2000 के वर्ष में स्वतंत्रता दिवस के साथ मनाया जा चूका है. मतलब रक्षा बंधन 15 अगस्त को अब तक तिन बार मनाया गया है.

रक्षा बंधन के दिन क्या क्या किया जाता है?

रक्षा बंधन भाई बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्यौहार है, रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मलतब है अटूट रिश्ता. रक्षा बंधन में राखी का सबसे अधिक महत्व होता है. रक्षा बंधन के दिन घर के सदस्य सुबह जल्दी उठ जाते हैं और रक्षा बंधन की तैयारियों में लग जाते हैं.

हम आपको बताते हैं की रक्षा बंधन पर थाली सजाने का तरीका क्या है? इस दिन प्रातः स्नान कर लड़कियां और महिलाएं नए वस्त्र धारण कर पूजा की थाली सजाती हैं, थाली में राखी के साथ, हल्दी, कुमकुम, चावल के दाने, दीपक, मिठाई, गंगाजल रखती है. रक्षा बंधन पर्व धार्मिक क्रिया की शुरुआत दीप जलाकर होता है.

बहने राखी की थाली सजाकर भाई की आरती करती है. आरती के बाद बहन अपने भाई के दाहिने कलाई पर राखी बाँधती है. भाई के माथे पर तिलक लगा कर उनका मुँह मीठा करती है उसके बाद आखिर में भाई का चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद ग्रहण करती है.

इसके बदले में भाई अपनी बहन का सदैव रक्षा करने का वचन देता है और साथ ही रक्षा बंधन का उपहार अपनी बहन को भेंट में देता है. रक्षा बंधन का अनुष्ठान पूरा होने तक बहनों द्वारा व्रत रखने की भी परम्परा है. रक्षा बंधन पर्व से दो सप्ताह पहले ही बाज़ार में रंग बिरंगी राखियाँ आ जाती है.

रक्षा बंधन के दिन बाज़ार में कई सारे उपहार भी बिकते हैं. उपहार और नए कपडे खरीदने के लिए बाज़ार में लोगों की सुबह से शाम तक भीड़ होती है. इस दिन मिठाईयों की दुकान पर भी काफी भीड़ देखने को मिलती है क्योंकि बहनें अपने भाइयों के लिए भिन्न भिन्न प्रकार की मिठाइयाँ खरीदती है.

अक्सर बहुत से लोगों के मन में ये सवाल आता है की रक्षाबंधन के कितने दिन बाद तक राखी बाँधी जाती है और क्यों? इसका जवाब ये हैं की रक्षा बंधन का त्यौहार 15 दिनों तक मनाया जाता है, यह त्यौहार 15 दिनों तक इसलिए मनाया जाता है क्योंकि कई भाई बहन एक दुसरे से बहुत दूर रहते हैं तो राखी वाले दिन वो एक दुसरे को मिल नहीं पाते हैं इसलिए वह 15 दिन के अन्दर किसी भी दिन राखी का त्यौहार मना सकते हैं.

रक्षा बंधन पर बहन के लिए कविता

बड़ा अनोखा ये प्रेम का बंधन
बहना मेरी मेरे घर का कुंदन
धुप पुष्प का थाल सजाकर
आई करने को पूजन वंदन
जुग-जुग जिये भैया मेरा
हर रोज़ लगाऊ दीप व चन्दन
मिले सफलता तुझे जहाँ में
जाये जहाँ भी तेरा हो अभिनन्दन
खुशियाँ ही खुशियाँ मिले तुझे बहना
न दुख आये तेरा कभी आँगन
मिलकर रहे सदा भाई बहन
ये याद दिलाता हमें रक्षा बंधन.

रक्षा बंधन के ऊपर कविता

हर सावन में आती राखी,
बहना से मिलवाती राखी…
चाँद सितारों की चमकीली,
कलाई को कर जाती राखी…
जो भूले से भी ना भूले,
मनभावन क्षण लाती राखी…
अटूट प्रेम का भाव धागे से
हर घर में बिखराती राखी…
सारे जग की मूल्यवान
चीजों से बढ़कर भाति राखी…
सदा बहन की रक्षा करना,
भाई को बतलाती राखी…

रक्षा बंधन के ऊपर शायरी

“चन्दन का टिका और रेशम का धागा,
सावन की सुगंध और बारिश की फुहार,
भाई की उम्मीद और बहन का प्यार,
मुबारक हो तुमको रक्षाबंधन का त्यौहार.”

“बहनों को भाइयों का साथ मुबारक हो
भाइयों की कलाइयों को बहनों का प्यार मुबारक हो
रहे ये सुख हमेशा आपकी ज़िन्दगी में
आप सबको राखी का पावन त्यौहार मुबारक हो.”

“रिश्ता है यह सबसे अलग और सादा
बहन बांधे राखी, भाई करे वादा
बहन और भाई का प्यार है बहुत सच्चा
इसलिए माना जाता है या रिश्ता सबसे अच्छा.”

रक्षा बंधन पर गीत विश करना

मेरे प्यारे भईया को बहना का प्यार,
भाई बहन का ये संबंध राखी का त्यौहार.
मेरी प्यारी बहना को भईया का दुलार,
भाई बहन का ये संबंध राखी का त्यौहार.
आज आया राखी त्यौहार..
आज आया राखी का त्यौहार…
रेशम की डोरी में बाँधा है प्यार,
बदले में माँगू अपनी रक्षा की सोहार.
रक्षा करूँगा हमेशा मै तेरी,
मेरे इस प्यार को देखेगा संसार.
आज आया राखी का त्यौहार…
आज आया राखी का त्यौहार…
बहनों का साल में आया है ये दिन,
जो चाहे माँग ले मिले इस दिन.
मेरे भईया की लंबी उमर हो,
सारी उमर खुशियों की बरखा हो.
आज आया राखी का त्यौहार…
आज आया राखी का त्यौहार…
मेरे प्यारे भईया को बहना का प्यार,
भाई बहन का ये संबंध राखी का त्यौहार.
मेरी प्यारी बहना को भईया का दुलार,
भाई बहन का ये संबंध राखी का त्यौहार.
आज आया राखी का त्यौहार…
आज आया राखी का त्यौहार…

रक्षा बंधन भाई और बहन के बिच स्नेह और मधुर संबंध को दर्शाता है. इस साल आप भी अपने बहन और भाई को राखी के मौके पर खूब सारा प्यार दें. मुझे उम्मीद है की आपको ये लेख “रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है ग्रंथों के अनुसार” पसंद आया होगा.

ये भी उम्मीद है की आपको रक्षा बंधन के ऊपर कविता, शायरी और गीत भी पसंद आएगा. अगर आपको ये लेख अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों, भाई और बहनों के साथ जरुर शेयर करें. आप सभी को भी रक्षा बंधन की शुभकामनायें.

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मैं एक कहानी लेखिका हूँ, जो अपनी विचारधारा को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करने में विश्वास रखती हूँ। मेरी कहानियां जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास करती हैं।

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