स्वच्छता पर निबंध: स्वच्छता ही सेवा

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स्वच्छता पर निबंध (Essay on Cleanliness in Hindi): आज कल हम सभी अपने आस पास साफ़ सफाई का माहौल देख रहे हैं. प्रतिदिन सरकारी कर्मचारी हर एक जगहों पर जाकर लोगों के घरों से कचरे इक्कठे करते हैं और सड़कों, गलियों में पड़े गन्दगी और कूड़ेदान का भी सफाया करते हैं.

भारत के प्रत्येक कोने में “स्वच्छ भारत अभियान” की लहरें दौड़ रही हैं. लेकिन क्या आप ये बता सकते हैं की स्वच्छता क्या है? स्वच्छता का अर्थ केवल अपने घर, समाज और देश से गंदगी साफ़ करना ही नहीं होता बल्कि अपने शरीर, ह्रदय और मन को भी साफ़ रखना अति आवश्यक होता है.

हमारे देश और हमारे जीवन के लिए स्वच्छता बहुत ही जरुरी है क्यूंकि आजकल बहुत ही तरह की बीमारियाँ गंदगी के वजह से फ़ैल रही है जिनका मुकाबला सिर्फ और सिर्फ स्वच्छता पर ध्यान देकर किया जा सकता है. बुजुर्ग हमेसा से कहते आये हैं की “स्वच्छता में ही इश्वर का वास है”.

जीवन में पवित्रता और स्वच्छता होनी अत्यंत आवश्यक है, जहाँ साफ़ सफाई रहती है वहीं पर इश्वर की असीम कृपा होती है. आज कल की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में हम न तो खुद स्वच्छता पर ध्यान देते हैं और ना ही हम अपने बच्चों को इसका महत्व बताते हैं.

इसलिए आज मैंने यहाँ पर स्वच्छता पर निबंध प्रस्तुत किया है जिसमे ये निबंध स्वच्छता के प्रति जागरूकता पर आधारित है. इस लेख से आप सभी को स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की जरुरत महसूस होगी. स्वच्छ भारत केवल एक इंसान के जरिये सफल नहीं होगा, ये कार्य हर व्यक्ति के सहयोग से ही पूर्ण हो सकता है. तो चलिए इस लेख के माध्यम से हम स्वच्छता को सबके जीवन का हिस्सा बनाये.

स्वच्छता पर निबंध (Essay on Cleanliness in Hindi)

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साफ़ सफाई का हमारे जीवन में बहुत ही महत्व है. स्वच्छता हर एक की पहली और प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए. सभी को यह समझना चाहिए कि भोजन और पानी की तरह स्वच्छता भी बहुत महत्वपूर्ण है.

स्वच्छता हमें और हमारे वातावरण को स्वच्छ और सुन्दर बनाता है. स्वच्छता मनुष्य के जीवन के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना जिन्दा रहने के लिए पानी.

जैसे भोजन, पानी ऑक्सीजन और अन्य चीजें हमारे अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है वैसे ही हमारे सस्वस्थ शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए स्वच्छता भी महत्वपूर्ण है. स्वच्छता बनाये रखने का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य, सुन्दरता को बनाये रखना, आपत्तिजनक गंध को दूर करने के साथ ही गन्दगी और मलिनता के प्रसार से बचना है.

स्वच्छता मानव समुदाय का एक अच्छा गुण होता है. यह विभिन्न प्रकार की बिमारियों से बचाओ के लिए सरलतम उपायों में से एक है. स्वच्छता दो तरह की होती है, पेहली शारीरिक स्वच्छता और दूसरी आतंरिक स्वच्छता. शारीरिक स्वच्छता हमें बाहर से साफ़ रखती है और हमें आत्मविश्वास के साथ अच्छा होने का अनुभव कराती है.

मगर आतंरिक स्वच्छता हमें मानसिक शांति प्रदान करती है और चिंताओं से दूर करती है. आतंरिक स्वच्छता से आशय मस्तिष्कों में गन्दी, बुरी और नकारात्मक सोच की उपस्थिति से है. ह्रदय, शरीर और मस्तिष्क को साफ़ और शांतिपूर्ण रखना ही पूरी स्वच्छता है.

फिर भी हमें अपने चारो और के माहौल को भी साफ़ रखने की आवश्यकता है ताकि हम साफ़ और स्वास्थ्य वातावरण में रह सकें. हमें साफ़ सफाई को अपनी आदत में लाना चाहिए और गन्दगी को हमेसा के लिए हर जगह से हटा देना चाहिए क्यूंकि गन्दगी वह जड़ है जो कई बीमारियों को जन्म देती है.

जो रोज़ नहीं नहाता, मैला कपडा पहनता हो, अपने घर या आसपास के वातावरण को गंदा रखता हो तो वो हमेशा बीमार रहता है. गन्दगी से आसपास के क्षेत्रों में कई तरह के कीटाणु, बैक्टीरिया, वायरस तथा फंगस आदि पैदा होते हैं जो बिमारियों को जन्म देते हैं.

यह बिलकुल सत्य तथ्य है की स्वच्छता घर से शुरू होती है, एक अच्छी आदतों वाला व्यक्ति घर के वातावरण को बदल सकता है हालाँकि अच्छे नागरिकों वाला देश अपने भविष्य के साथ साथ पुरे गृह के वातावरण को बदल सकता है.

सबसे महत्वपूर्ण बात, माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों पर जल्दी से इस आदत को प्रोत्साहित करना चाहिए. यह सुनिश्चित करेगा कि बच्चे स्वच्छता के बारे में जागरूक हो सकें. इसे पूरा करना कोई कठिन काम नहीं है, बल्कि साफ-सफाई काफी आसान है.

स्वच्छता के साथ समझौता करने की गलती कभी नहीं करनी चाहिए. यह मनुष्यों और जानवरों के स्वास्थ्य और भलाई के लिए आवश्यक है.

स्वच्छता को बड़े पैमाने पर बढ़ाने के लिए हमारे प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने विशेष रूप से “स्वच्छ भारत अभियान” योजना शुरू की है. इस अभियान द्वारा भारत को गन्दगी रहित बनाया जायेगा. इस अभियान में शौचालयों का निर्माण किया जायेगा, पिने का साफ़ पानी हर घर तक पहुँचाया जायेगा और सड़कों के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी सफाई करायी जाएगी.

सफाई एक बार नहीं बल्कि हमारे दैनिक अभ्यास में होनी चाहिए. सड़कों पर प्रसारित कचरे और बहते हुए गंदे नाले के पानी के परिणाम और बिमारियों के फैलाव और सड़कों पर पानी के फैलने की वजह से स्थिति और बुरी हो जाती है जिसके फलस्वरूप अधिक से अधिक लोगों को बिमारियों का शिकार होना पड़ता है.

इसलिए इस संकट से बचने के लिए हमारे देश के मूल निवासियों को न केवल अपने घरों और काम के स्थानों में बल्कि उनके परिवेश में भी सफाई बनाये रखने के लिए प्रयास करना चाहिए. घर की सफाई में घर के सदस्यों की भूमिका होती है तो बाहार की सफाई में समाज के लोगों की  भूमिका होती है.

देश के नागरिक होने के नाते हम सभी किसी भी जगह दिखने वाली गन्दगी के लिए जिम्मेदार है. हमें हमारी सडकों, पर्यटन स्थलों, एतिहासिक जगहों, स्कूलों, कॉलेजों, दफ्तरों आदि को बहोत ही साफ़ और स्वच्छ रखना चाहिए.

कुछ लोग अपने स्वभाव के विपरीत सफाई को कम महत्व देते हैं. बहुत से लोग घर की गंदगी निकाल कर घर के सामने डाल देते हैं. इससे गन्दगी पुनः घर में चाली जाती है, घर के आसपास का पर्यावरण दूषित होता है. घर के निकट की नालियों में गन्दा जल तथा अन्य वस्तुएँ सडती रहती है.

ऐसे में वहां के लोग संक्रामक बिमारोयों से शीघ्र ग्रसित हो जाते हैं, इसलिए समाज के सभी सदस्यों को आस पडोस की सफाई में योगदान देना चाहिए. और अधिक मात्रा में पेड़ लगाकर वायु को शुद्ध रखना चाहिए. हमें साबुन से नहाना, नाखुनो को काटना, साफ़ किये हुए कपडे आदि कार्य रोज़ करना चाहिए.

कुछ खाने से पहले और खाने के बाद साबुन से हाथ धोना चाहिए. हमें पुरे दिन साफ़ और शुद्ध पानी पीना चाहिए, हमें बाहर के खाने से बचना चाहिए साथ ही ज्यादा मसालेदार और तैयार पेय पदार्थों से परहेज करना चाहिए.

देश में पर्यटक को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ भारत का निर्माण करना बहुत ही महत्वपूर्ण है. अस्वच्छ भारत की तस्वीरें भारतीयों के लिए अक्सर शर्मिंदगी की वजह बन जाती है इसलिए स्वच्छ भारत के निर्माण एवं देश की छवि सुधारने का यह सही समय एवं अवसर है.

अगर हम अपने और हमारे आस पास के इलाकों को साफ़ रखेंगे तो यह राष्ट्र निर्माण के कार्य में भी मदद करेगा जिससे अधिक से अधिक विदेषी पर्यटकों को हमारे देश की यात्रा करने और उसकी सुन्दरता, प्रकृति और विभिन्न स्थानों का भ्रमण करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा.

स्वच्छता एक बहुत ही अच्छी आदत है, यह हमें शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक रूप से खुश रखती है. स्वच्छ परिवेश न केवल सुंदर दीखता है बल्कि रोगों को दूर रखता है और पर्यटन उद्योग की बढौतरी भी करता है. हमारे जीवन में स्वच्छता का स्तर बहुत ऊँचा होना चाहिए, जो केवल तभी संभव है जब सभी मिलकर प्रयास करेंगे.

धूल से छुटकारा पाने के लिए आपको अपने घर को रोजाना साफ करना चाहिए. अपने शहर की सड़कों को कभी भी गंदा न रखें. इसके अलावा, प्लास्टिक बैग के उपयोग से बचें. रीसाइक्लिंग और पुन: उपयोग को प्रोत्साहित करें. पर्यावरण को स्वस्थ और स्वच्छ बनाने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने का प्रयास करें.

यह केवल एक व्यक्ति का कार्य नहीं है इसके लिए निरंतर समर्थन और सभी व्यक्तियों के बिच उचित समझदारी की आवश्यकता है. स्वच्छ भारत की संकल्पना न सिर्फ भारत सरकार का एक सार्थक प्रयास है बल्कि सभी भारतीयों की यह एक नैतिक जिम्मेदारी है. हमें इसके महत्व और फायदों को समझना चाहिए की स्वच्छता ही सेवा है.

हम सभी को स्वच्छता, महत्व और आवश्यकता के लक्ष्य को समझना चाहिए और इसे अपने दैनिक जीवन में लागू करना चाहिए. कई स्कूलों में, स्कूलों के परिसर की सफाई, कक्षा की सफाई, लैब की सफाई, स्वच्छता पर पोस्टर, गंदगी को अलग करना, निबंध लिखना, स्वच्छता पर पेंटिंग, कविता पढ़ना, समूह चर्चा, documentary वीडियो आदि जैसे स्कूलों में बच्चों के बीच स्वच्छता को बढ़ावा दिया जाता है.

ऐसा काहा जाता है की स्वास्थ्य ही धन है और स्वास्थ्य है तो सब कुछ है. इसलिए अपने आपको स्वस्थ रखने और इस धन को प्राप्त करने के लिए उपर्युक्त साफ़-सफाई को नज़रंदाज़ मत करिए. हमें स्वच्छता से कभी समझौता नहीं करना चाहिए, ये जीवन में पानी और खाने की तरह ही अवश्यक है.

स्वच्छता हर एक की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए. मुझे उम्मीद है की आपको ये लेख स्वच्छता पर निबंध (Essay on Cleanliness in Hindi) पसंद आएगा. अगर आपको ये लेख अच्छा लगा तो अपने जान पहचान के सभी लोगों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें.

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मैं एक कहानी लेखिका हूँ, जो अपनी विचारधारा को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करने में विश्वास रखती हूँ। मेरी कहानियां जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास करती हैं।

38 COMMENTS

  1. सबीना, आपने बेहद उम्दा लेख लिखा है। सच में सामाजिक स्वच्छता के साथ साथ मानसिक स्वच्छता भी अनिवार्य है।

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