सुधा चंद्रन की कहानी

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सुधा चंद्रन की कहानी (Sudha Chandran Biography in Hindi): आज के इस लेख में हम एक ऐसे सकशियत के बारे में जानेगे जिसे नृत्य करने का बहुत शौक था. एक हादसे में उसने अपना दाहिना पैर खो दिया.

अब क्या उसे अपने क्सिमत के आगे हार मान लेना चाहिए या फिर उसे अपने परेशानियों का सामना कर एक बेहतरीन नृत्यकार बन कर दुनिया के लिए एक मिसाल कायम करना चाहिए?

ये कहानी सुधा चंद्रन की है जो छोटी सी ही उम्र में अपने नृत्य से सबका दिल जीत लेती थी लेकिन एक दिन अचानक उसके साथ कुछ ऐसा हुआ जिसने उस लड़की की पूरी दुनिया ही पलट दी. उसके साथ एक हादसा हुआ जिसमे उसने अपना एक पैर खो दिया.

वो पैर जो हमेसा गाने की धुन पर थिरकने लगते थे अचानक से मौन हो गए. लेकिन उस लड़की ने अपनी हालत पर बिना तरस खाए ही दुनिया के सामने एक इतिहास रचा.

अपने नकली पैर के जरिये जिस्मानी कमी को एक काबिलियत में तब्दील कर दिया और ऐसा किरदार खड़ा किया जो ओरों के लिए मिसाल बन गया.

सुधा चंद्रन को कौन नहीं जानता, जिसने न सिर्फ नृत्य बल्कि अपने एक्टिंग की कला से भी सबके दिलों में ख़ास जगह बना रखी है. फ़िल्मी दुनिया से लेकर TV सीरियल की दुनिया तक सुधा चंद्रन जी Kaahin Kissii Roz की Ramola Sikand और Naagin की Yamini Singh Raheja जैसे किरदारों के नाम से पुरे भारत में प्रसिद्ध हैं.

इस लेख सुधा चंद्रन की कहानी (Sudha Chandran Biography in Hindi) के जरिये आज हम इन्ही की प्रेरणादायक कहानी और सुधा चंद्रन की जीवनी के बारे में जानेगे. इसे आप “Biography of Ramola Sikand” भी कह सकते हैं क्यूंकि आज कल सुधा चंद्रन जी इस नाम से ज्यादा मशहूर हैं.

सुधा चंद्रन की कहानी (Sudha Chandran Biography in Hindi)

सुधा चंद्रन का जन्म 21 सितम्बर 1964 को केरल राज्य में हुआ था. सुधा जी एक मध्यवर्गीय परिवार की रहने वाली थी लेकिन फिर भी उनके माता पिता ने सुधा जी को मुंबई से उच्च शिक्षा दिलाई.

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बचपन से ही सुधा जी का डांस करने का शौक था इसलिए मात्र 3 वर्ष की उम्र में उन्होंने भारतीय शास्त्रीय नृत्य सीखना आरम्भ किया. वे अपनी स्कूल की पढाई पूरी कर डांस सिखने जाया करती थी.

5 साल की उम्र से लेकर 16 साल की उम्र तक उन्होंने 75 से अधिक स्टेज शो देकर भरतनाट्यम की उम्दा कलाकार के रूप में शोहरत हासिल कर ली थी. उन्हें अनेक राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके थे.

सुधा चंद्रन का जीवन परिचय संक्षिप्त में

नामसुधा चंद्रन
जन्म27 सितम्बर 1965
जन्मस्थानमुंबई, महाराष्ट्र भारत
उम्र54 वर्ष
पेशाअभिनय व नृत्य
प्रसिद्द किरदाररमोला सिकंद (कहीं किसी रोज़)
यामिनी रहेजा (नागिन)
कद5.7 फीट
राष्ट्रीयताभारतीय
वर्तमान शहर व गृह नगरमुंबई, महाराष्ट्र
पिताके डी चंद्रन
वैवाहिक स्थितिशादीशुदा
पुरस्कारनेशनल फिल्म अवार्ड
गोल्डन पेटल अवार्ड फॉर बेस्ट कॉमिक रोल
नंदी स्पेशल जूरी अवार्ड
इंडियन टेलीविज़न अकादमी अवार्ड्स फॉर बेस्ट एक्ट्रेस इन नेगेटिव रोल

सुधा चंद्रन की सड़क दुर्घटना और सफलता पूर्वक कृत्रिम पैर लगना

एक दिन जब वह अपने माता पिता के साथ तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में स्थित एक मंदिर से वापस बस में सफ़र कर लौट रही थी, तभी सामने से आ रहे ट्रक ने उनकी गाडी को जोर से टक्कर मारा. उस भयंकर दुर्घटना में बहुत से लोग घायल हो गए.

घायल लोगों को अस्पताल ले जाया गया और सुधा जी को अस्पताल ले जाने के बाद पता चला की उनके पैर की हड्डी टूट गयी है. डॉक्टर ने उनके पैर में पट्टी बाँधी.

कुछ क्षण बाद डॉक्टर ने कहा की सुधा जी के दाहिने पैर में गैंग्रीन जो एक संक्रमण जैसे होता है, वो दुर्भाग्यवश उनके टूटे हुए पैर में हो गया है जिसे वक़्त रहते कटा नहीं गया तो सुधा के जान को खतरा हो सकता है.

ये सुनते ही उनके माता पिता ने डॉक्टर से सुधा जी का पैर काटने की अनुमति दे दी. नृत्य की शौक़ीन लड़की चल फिर भी नहीं पाती थी. बिस्तर पर पड़े हुए अपने किस्मत को कोश्ती रहती थी.

उन्हें ये लगने लगा था की एक पैर के ना रहने से उनका भविष्य पूरी तरह से अन्धकार में चला गया है. जो लड़की कभी एक मशहूर डांसर बनने का ख्वाब देखती थी कुछ ही पल में उसकी दुनिया ही पलट गयी थी, ऐसा लगा जैसे सब कुछ ख़त्म हो गया.

सुधा की गंभीर अवस्था का बुरा असर उसके साथ-साथ उसके माँ बाप पर भी पड़ रहा था. समाज के लोग सुधा और उसके माँ-बाप को दया और रहम की नज़र से देखते थे.

उनके माता पिता दिन में बाहार निकलना पसंद नहीं करते थे और शब्जी लेने भी वो अक्सर रात को अँधेरे में जाया करते थे क्यूंकि लोग सुधा जी के विकलांगता को लेकर अप्रिय सवाल पूछते थे. लोगों के इस व्यवहार से सुधा जी को बहुत बुरा लगता था.

सुधा जी का प्रण

तभी सुधा जी ने प्रण लिया, उन्हें कुछ ऐसा कार्य करना है जिससे वो लोगों को दिखा सकें की उनके ज़िंदगी में कोई हादसा नहीं हुआ, वो जैसा पहले थी आज भी बिलकुल वैसे ही हैं. और ऐसा दर्शाने के लिए सुधा जी ने नृत्य को फिर से अपना लक्ष्य बना लिया.

उन्हें इसके जरिये कुछ ऐसा कर दिखाना था की जिससे उनके माता पिता को उन पर गर्व हो.

सुधा जी और डॉ. सेठी की मुलाक़ात

अस्पताल में पड़े पड़े एक दिन अचानक से सुधा जी की नजर India Today के अख़बार में छपी “चमत्कारपूर्ण पैर” (Miraculous foot) इस्तिहार पर पड़ी जिसमे डॉ. सेठी के “जयपुर फूट” की विस्तृत चर्चा थी.

डॉ. सेठी को जयपुर फूट के आविष्कार से Megsaysay Award से सम्मानित किया गया था. उस इस्तिहार को देखते ही सुधा जी ने डॉ. सेठी को एक पत्र लिखा की वो उनसे मिलना चाहती हैं. डॉ. सेठी सुधा जी से मिलने के लिए तैयार हो गए.

सुधा जी जब डॉक्टर से मिली मानो उन्हें एक उम्मीद की रौशनी नज़र आने लगी की अब वो अपना सपना पूरा कर पायेगी. उन्होंने बिना देरी किया डॉक्टर से पुच्छा- ” क्या मै फिर से चल पाऊँगी ? क्या आपको लगता है की मै जयपुर फूट की वजह से फिर से नृत्य कर पाऊँगी?”

डॉ सेठी ने जवाब दिया- “क्यूँ नहीं? ये सब तुम्हारे सोच पर निर्भर करता है, अगर तुम फिर से नृत्य करना चाहती हो तो तुम कर सकती हो,” डॉक्टर के इस शब्द का गहरा असर सुधा जी के जीवन पर पड़ा. सुधा का ऑपरेशन हुआ और उन्हें जयपुर फूट लगाया गया.

धीरे-धीरे सुधा जी का हौसला बढ़ता गया और उन्होंने दर्दनाक दुर्घटना को भूलकर फिर से अपने सपने के तरफ ध्यान दिया. अपने नकली पैर के साथ उन्होंने फिर से नृत्य की कला सिखा. वो रात दिन नृत्य का अभ्यास करने लगी थी इस अभ्यास में उन्हें बहुत पीड़ा भी होती थी.

लेकिन दो साल के कड़ी मेहनत के बाद सुधा जी नृत्य में पूरी तरह से उत्कृष्ट हो चुकी थी. उन्हें अपनी कला का प्रदर्शन करने का मौका फिर से मिला.

जब उन्होंने स्टेज पर अपने कुत्रिम पैरों से प्रदर्शन दिखाया तो लोगों की प्रतिक्रिया प्रेरनादायी थी. पुरे सभाघर में तालियों की गूंज बहुत देर तक गूंजती रही. धीरे धीरे पुरे देश में उनके बारे में चर्चा होने लगी.

पत्र-पत्रिकाओं में सुधा की कहानी छपने लगी. तभी जाने माने फिल्म निर्माता रामोजी राव की नज़र उनकी कहानी पर पड़ी. उन्होंने 1984 में सुधा की ज़िंदगी पर तेलुगु में “मयूरी” नाम की फिल्म बनाई जिसमे मुख्य पात्र की भूमिका भी सुधा ने ही निभाई.

इस फिल्म में सुधा जी ने अपने नृत्य से सबका दिल जीत लिया था. यह फिल्म काफी सफल रही. उनकी यह फिल्म “नाचे मयूरी” के नाम से हिंदी में भी बनाई गयी जिसे पूरी दुनिया में सराहा गया. इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.

उसके बाद से सुधा चंद्रन की ज़िंदगी बदल गयी और उसके बाद से उन्होंने बहुत सारी फिल्मों में काम किया और वर्तमान में काफी हिंदी serials में सक्रिय है. सुधा चंद्रन एक भारतीय अभिनेत्री हैं, जो मलयालम, तमिल, तेलुगु, हिंदी, मराठी, गुजराती और कन्नड़ फिल्म उद्योग में काम कर रही हैं.

इस तरह सुधा चंद्रन ने अपनी विकलांगता को अपनी कमजोरी न बनने दिया और एक सफल अभिनेत्री बनी.

सुधा चंद्रन जी की पुरस्कार/ उपलब्धि :

अब चलिए जानते हैं की इस महान हस्ती को अब तक किन किन पुरस्कारों से नवाज़ा गया है :-

  • 1986 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार – मयूरी के लिए विशेष जूरी पुरस्कार।
  • 2004 में स्टार परिवार अवार्ड।
  • 2005 में “तुम्हारी दिशा’ के लिए एक नकारात्मक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए भारतीय टेलीविजन अकादमी पुरस्कार ।
  • 2013 में एशियानेट टेलीवीसियोन अवार्ड आद्र्राम के लिए सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री ।
  • 2014 में “देवम थंडा वीडु” के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री विजय टेलीविजन पुरस्कार
  • 2015 में देवम थंडा वीडु के लिए सर्वश्रेष्ठ सास हेतु विजय टेलीविजन पुरस्कार
  • 2016 में “नागिन” धारावाहिक के लिए पावर पैक्ड परफॉर्मेंस की ओर से *कलर्स गोल्डन पेटल अवार्ड।
  • 2017 में “नागिन” धारावाहिक सीजन 2 के लिए कलर्स गोल्डन पेटल अवार्ड ।

सुधा जी का जन्म कब हुआ था?

सुधा जी का जन्म 27 सितम्बर 1965 को हुआ था।

सुधा जी का पूरा नाम क्या है?

सुधा जी का पूरा नाम सुधा चंद्रन है।

आज आपने क्या सीखा

सुधा चंद्रन की आत्मकथा से हम सबको प्रेरणा मिलती है की कैसे एक भयानक दुर्घटना के बावजूद भी उन्होंने अडचनों को अपने सपने के आड़े आने नहीं दिया और विकलांगता के बावजूद दृढ-निश्चय के साथ उन्होंने अपनी मुसीबतों का सामना किया और अपनी इच्छा शक्ति के बल पर सफलता हासिल किया.

मुझे उम्मीद है की आपको सुधा चंद्रन की कहानी (Sudha Chandran Biography in Hindi) पसंद आएगी. अगर आपको ये लेख पसंद आया तो इसे अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें.

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मैं एक कथा लेखिका हूँ, जो अपनी विचारधारा को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करने में विश्वास रखती हूँ। मेरी कहानियां जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास करती हैं।

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