वायुमंडलीय ताप पर निबंध – वायुमंडल की परतें

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वायुमंडलीय ताप पर निबंध (Essay on Global Temperature in Hindi): हमारी पृथ्वी चारों तरफ से अलग अलग गैसों के परत से घिरी हुई है. ये धरती गर्म गैसों से बनी हुई है, जब धरती गर्म गैसों की वजह से बनी थी तब इस पर Hydrogen और Helium gas ज्यादा मात्रा में मौजूद हुआ करता था.

लेकिन धीरे धीरे सूरज की गर्मी की वजह से ये gases कम होने लगे और उस समय धरती पर कोई वायुमंडल भी नहीं था. फिर धरती के अन्दर से कई सारे gases निकलने लगे और इन्ही गैसों की वजह से धरती का पहला वायुमंडल बना. ये वही gas हैं जो आज भी ज्वालामुखी से निकलते हैं.

धरती पर photosynthetic जिव यानि की पेड़ और पौधों धरती में मौजूद carbon dioxide के स्तर को कम करते थे और oxygen बनाते थे. ये oxygen धीरे धीरे वायुमंडल में जाकर इकठ्ठा होते थे.

सूरज से निकलने वाला Ultraviolet rays जब धरती पर पड़े तब oxygen gas और UV rays के बिच प्रतिक्रिया हुयी जिसके कारण वायुमंडल को Ozone layer मिली. ये ozone layer ही हैं जो हमें सूरज के खतरनाक rays से बचाते हैं.

इसी तरह से हजारों सालों में हो रहे बदलाव के वजह से धरती पर वायुमंडल और उसकी अनेक परतें बनती गयी जिससे मनुष्य और जिव जंतु के जीने लायक वातावरण का निर्माण हुआ. पृथ्वी सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसमें वायुमंडल है जो जीवन को धारण कर सकता है.

लेकिन मनुष्य के गलत कार्यों के वजह से केवल पृथ्वी पर ही नहीं बल्कि वायुमंडल में भी इसका बुरा असर पड़ रहा है जिससे वायुमंडलीय तापमान प्रतिवर्ष बढ़ता ही जा रहा है. इस लेख वायुमंडलीय ताप पर निबंध से मै आपको वायुमंडल से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी देने वाली हूँ.

वायुमंडलीय ताप पर निबंध – Essay on Global Warming in Hindi

Bhumandaliya Taap Par Nibandh Hindi

सबसे पहले मै आपको बताना चाहूंगी की वायुमंडल किसे कहते हैं? और वायुमंडल का अर्थ क्या है? पृथ्वी के चारों ओर सैकड़ों किलोमीटर तक फैले हुए गैसीय आवरण अर्थात वायु की परत को वायुमंडल कहते हैं. वह वायु जो पृथ्वी को चरों तरफ से घेरे हुए हैं उसे सम्मिलित रूप से हम वायुमंडल कहते हैं.

स्थलमंडल और जलमंडल की भांति यह भी हमारे पृथ्वी का अभिन्न अंग है. वायु रंगहीन, गंधहीन व स्वादहीन है. यह वायु वास्तव में विभिन्न गैसों का मिश्रण है क्योंकि इसमें किसी एक प्रकार की gas नहीं पाई जाती बल्कि कई गैसों का आवरण देखने को मिलता है. वायुमंडल में गैसों की मात्रा अलग अलग होती है.

क्या आपको पता है की वायुमंडल में सबसे अधिक गैस कौन सी पाई जाती है? वायुमंडल में सबसे अधिक गैस Nitrogen ही है, यह लगभग 78 प्रतिशत की मात्रा में पाई जाती है. Nitrogen का कार्य है oxygen को पतला करके प्रज्वलन को नियंत्रित करना यानि की अगर वातावरण के किसी जगह पर आग लगी है तो Nitrogen उस जगह में मौजूद oxygen को कम कर आग बुझाने का कार्य करती है.

अगर वायुमंडल में nitrogen ना हो तो एक बार आग लगने के बाद उसे बुझाना मुश्किल हो जायेगा. इसके अलावा Nitrogen का एक और महत्वपूर्ण कार्य है की ये पेड़ पौधों को प्रोटीन प्रदान करने में सहायक होती है और पेड़ पौधे भी Nitrogen के द्वारा अपना भोजन बना पाते हैं.

Nitrogen के बाद वायुमंडल में सबसे अधिक मात्रा में पाए जाने वाला gas oxygen है, जो हमारे जीवन के लिए सबसे बहुमूल्य gas है. वायुमंडल में इसकी मात्रा 21 प्रतिशत है. Oxygen ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत है.

उसके बाद वायुमंडल में argon 0.93 प्रतिशत और carbon dioxide 0.03 प्रतिशत तथा hydrogen, helium, ozone, neon, xenon आदि अल्प मात्रा में उपस्थित हैं. Carbon dioxide सबसे भारी gas होती है इसलिए यह वायुमंडल के सबसे निचली परत में पाई जाती है.

इसकी बढती मात्रा से तापमान में वृद्धि होती है. पृथ्वी पर वायुमंडल 29 हजार किलोमीटर की ऊंचाई तक फैला हुआ है लेकिन जो वायुमंडल में मौजूद gas है उन सभी का 99 प्रतिशत भाग जो है वो पृथ्वी के 32 किलोमीटर के क्षेत्र में ही सिमित है.

वायुमंडल के अध्ययन को क्या कहते है? वायुमंडल की ऊपरी परत के अध्ययन को वायुविज्ञान (Aerology) और निचली परत के अध्ययन को ऋतू विज्ञान (Meterology) कहते हैं.

वायुमंडल का महत्व – Importance of Atmosphere in Hindi

प्राणियों और पेड़ पौधों के जीवनपोषण के लिए वायु अत्यावश्यक है. वायुमंडल गैस, धुलकण और जलवाष्प से मिलकर बना हुआ है. वायुमंडल के इन तत्वों का पृथ्वी पर जीवन के लिए विशिष्ट महत्व है. धूलकण वायुमंडल में 12 किलोमीटर तक अधिक पाया जाता है और जलवाष्प वायुमंडल में 10 से 12 किलोमीटर की ऊंचाई के बिच ही पाये जाते हैं.

वायुमंडल में जलवाष्प की मात्रा 5 प्रतिशत तक ही होती है. वायुमंडलीय जलवाष्प की प्राप्ति सागरों, जलाशयों, वनस्पतियों तथा मृदाओं के जल से होती है. जलवाष्प के कारण ही बादल, कोहरा, वर्षा, ओस, हिम, ओला, हिमपात होता है. धूलकण के ऊपर जलवाष्प के संघनित (condense) होने से बादलों का निर्माण होता है.

यह क्रिया सर्वाधिक 5 किलोमीटर की ऊँचाई तक होती है. इन्ही क्षेत्रों में वर्षा वाले बादल विकसित होते हैं जो पृथ्वी पर जल चक्र का प्रमुख आधार है. जलवाष्प के संघनन से बादलों का निर्माण होने के कारण ही पृथ्वी पर जल की आपूर्ति सुनिश्चित होती है.

इसके अलावा वायुमंडल में carbon dioxide की मात्रा कम है लेकिन यह प्रमुख greenhouse gas है. इसके कारण पृथ्वी की औसत ताप का संतुलन बना रहता है. Greenhouse gas में वृद्धि होने के कारण ही वायुमंडल गर्म होती है और पृथ्वी पर तापमान की प्राप्ति होती है.

Ozone gas अत्यंत अल्प मात्रा में पाई जाती है. वायुमंडल में ozone परत की पृथ्वी और उस पर रहने वाले जीवों के लिए बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका है.

Ozone परत सूर्य से आने वाली उच्च आवृति की पराबैंगनी प्रकाश (UV rays) पृथ्वी पर जीवन के लिए हानिकारक है, ozone layer उसको 93-99 प्रतिशत मात्रा अवशोषित यानि absorb कर लेती है.

Ozone की परत में छोटी सी भी छेद पृथ्वी के लिए हानिकारक साबित हो सकती है और पराबैंगनी प्रकाश के अधिक मात्रा में धरती पर पहुँचने से skin cancer सहित कई दुष्प्रभाव उत्पन्न होने का खतरा हो सकता है.

Jet और वायुयानों से Nitrogen oxide, AC और Refrigerator से निकलने वाली chloroflorocarbon (CFC) ये सभी ozone की परत को नुक्सान पहुंचाते है.

वायुमंडल गर्मी को रोककर रखने में एक विशाल कांच घर (Glass House) का काम करता है, जो short waves और radiation को पृथ्वी के धरातल पर आने देता है लेकिन पृथ्वी से विकसित होने वाली waves को बाहर जाने से रोकता है.

इस प्रकार वायुमंडल पृथ्वी पर औसतन 15 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान बनाये रखता है. यही तापमान पृथ्वी पर जीव मंडल के विकास का आधार है.

वायुमंडल की परतें – Layers of Atmosphere in Hindi

वायुमंडल को पांच परतों में बाँटा गया है जिसका नाम है क्षोभमंडल, समतापमंडल, मध्यमंडल, आयनमंडल, बहिर्मंडल. ये पांच परते हैं जिनमे वायुमंडल को विभाजित किया गया है. चलिए इनके कार्य और महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं.

1. क्षोभमंडल (Troposphere) – क्षोभमंडल धरातल से सटा हुआ वायुमंडल का सबसे निचला भाग होता है जो सबसे पहली परत है. इसकी ऊंचाई धरातल से 12 किमी. तक होता है. क्षोभमंडल में प्रति 165 मीटर पर 1 डिग्री सेंटीग्रेड ताप की गिरावट होती है इसका मतलब है की अगर हम क्षोभमंडल से 165 मीटर ऊपर की तरफ जायेंगे तो जो वर्तमान तापमान है वो धीरे धीरे 1 डिग्री सेंटीग्रेड गिरता जाता है.

मौसम की लगभग सभी घटनाएं जैसे वर्षा, कोहरा और ओला इसी परत के अन्दर होती है. इस परत में जलकण, धूलकण, वायु, धुंध तथा सभी प्रकार की वायुमंडलीय विक्षोभ और गतियां संपन्न होती हैं.

2. समतापमंडल (Stratospehre) – क्षोभमंडल के ऊपर वायुमंडल की परत में समतापमंडल पाया जाता है. यह क्षोभमंडल से लेकर लगभग 50 किमी. की ऊंचाई तक फैला होता है. यह परत बादलों एवं मौसम संबंधी घटनाओं से लगभग मुक्त होती है यानि की जो समतापमंडल है वहां पर ना ही कोई बदल होते हैं और ना ही कोई मौसम से जुडी घटना होती है.

यह पूरी तरह से साफ़ और स्वच्छ मंडल होती है. इस वजह से समतापमंडल हवाई जहाज उड़ाने के लिए आदर्श होती है. इसके अलावा इसी मंडल में ozone layer भी पाई जाती है. इस वजह से समतापमंडल को ozone मंडल भी कहा जाता है.

Ozone gas सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को सोख लेती है और उन्हें भूतल तक नहीं पहुँचने देती है तथा पृथ्वी को अधिक गर्म होने से बचाती है.

3. मध्यमंडल (Mesosphere) – समतापमंडल के ऊपर 50 से 80 किमी. की दुरी तक मध्यमंडल पाया जाता है. इस मंडल की ऊंचाई के साथ इसका तापमान भी गिरता जाता है और इस मंडल की 80 किमी. की ऊंचाई पर इसका तापमान -100 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है.

इसके ऊपरी सीमा के बाद पुनः ताप में वृद्धि होने लगती है. इस मंडल की ख़ास बात ये है की जब अंतरिक्ष से उल्का पिंड धरती की तरफ प्रवेश करता है तब ये मध्यमंडल के परत में आकर जाल जाते हैं जिससे पृथ्वी सुरक्षित रहती है.

4. आयनमंडल (Ionosphere) – आयनमंडल मध्यमंडल के ऊपर की परत में पाया जाता है और इसका क्षेत्र 640 किमी. तक फैला हुआ है. इस मंडल में ऊँचाई के साथ ताप में तेज़ी से वृद्धि होती है.

यह परत radio संचार के लिए महत्वपूर्ण होता है, जो हम radio सुनते हैं या जो भी radio waves होते हैं वो इसी मंडल में प्रसारित की जाती हैं जिसके द्वारा radio संचार प्रणाली का उपयोग किया जाता है.

पृथ्वी से आने वाली तरंगे इसी मंडल से परावर्तित होकर पुनः पृथ्वी पर वापस आती हैं और radio संचार को संभव बनाते हैं जिससे हमे radio पर आवाज़ सुनाई देती है.

5. बहिर्मंडल (Exosphere) – इसे वायुमंडल का सीमांत क्षेत्र कहा जाता है. वायुमंडल की सबसे बाहरी परत को बहिर्मंडल कहा जाता है और इसकी ऊँचाई 640 से 1000 किमी तक होती है.

इसमें वायु की पतली सी एक परत होती है. इसमें सबसे हलकी gas पाई जाती है. आपको पता होना चाहिए की वायुमंडल में सबसे हल्की gas कौन सी है. तो इस मंडल में helium और hydrogen gas है जो यहीं से अंतरिक्ष में तैरती रहती है. क्योंकि ये दोनों ही हलकी gas हैं इसलिए ये सबसे ऊपर वायुमंडल में पायी जाती हैं.

वायुमंडलीय ताप क्या है?

वायुमंडलीय ताप धरती में अलग अलग जगह पर मौजूद वायु की ताप के माप को कहते हैं. सूर्य से ताप पृथ्वी तक आता है और पार्थिव ऊर्जा (Terrestrial Energy) में बदल जाता है, फिर यही पार्थिव ऊर्जा वायुमंडल के ताप का निर्धारण करती है.

जब यह पार्थिव ऊर्जा ज्यादा होती है तो वायुमंडल गर्म हो जाता है और इसके कम होने पर वायुमंडल ठंडा हो जाता है. दिन में जैसे जैसे पृथ्वी का धरातल सूर्यताप से गर्म होता जाता है वैसे वैसे धरातल के संपर्क में आने वाला वायुमंडल भी गर्म होता रहता है.

जब धरातल का ताप घटने लगता है तो धरातलीय वायुमंडल का ताप भी घटने लगता है. इसी तरह से वायुमंडल का ताप भी बढ़ता और घटता है.

गर्म पृथ्वी से ताप radiation द्वारा वायुमंडल में चला जाता है. वायुमंडल में बादल, धूलकण आदि होते हैं इसलिए यह ताप निचली परत में ही रह जाता है अन्यथा यह धरातल से बहुत ऊँचा चला जाता है.

ताप निचली सतह में ही रहता है इसलिए गर्मी का अनुभव होता है. जब radiation द्वारा किसी स्थान की वायु गर्म हो जाती है, तो वह हल्की होकर ऊपर उठती है और खाली जगह को भरने के लिए आस पास से भारी एवं ठंडी हवा निचे आ जाती है.

ठंडी और गर्म हवा के इस प्रकार ऊपर निचे होने की क्रिया को संवहन (Convection) कहते हैं. इस प्रक्रिया के द्वारा वायुमंडलीय तापमान में परिवर्तन होता रहता है.

लेकिन हमारे कुछ दुष्कर्म से धरती का तापमान भी निरंतर बढ़ रहा है जिसे global warming कहते हैं. Greenhouse gas यानि की carbon dioxide के अधिक मात्रा में वातावरण में जाने की वजह से global warming होती है.

Global warming green house gas और मानव गतिविधियों के कारण उत्पन्न एक समस्या है. वनों की कटाई और fossil fuel जलने जैसी गतिविधियों के कारण greenhouse गैसों की बढती मात्रा पृथ्वी के वायुमंडल और महासागरों को गर्म करने का कारण बन रही है.

इसके अलवा मनुष्य जो AC और refrigerator का प्रयोग करते हैं इससे CFC’s निकलते हैं जो हमारे धरती के लिए हानिकारक हैं. हम जो वाहनों का इस्तेमाल करते हैं उससे carbon dioxide निकलती है. इसके निकलने से भी हमारे धरती का तापमान और बढ़ता है.

हमारे धरती को ozone layer एक चादर की तरह ढंकी हुई है. Carbon dioxide की बढौतरी के वजह से ozone layer में धीरे धीरे black hole बन चुकी है जिसके कारण सूर्य से आने वाली UV rays सीधे हमारे पृथ्वी पर गिरेंगी जिससे तापमान का बढ़ना निश्चित है.

ग्लोबल वार्मिंग हमारे हिम ग्लेशियरों को तेजी से पिघला रहा है. यह धरती के साथ-साथ इंसानों के लिए भी बेहद हानिकारक है. ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करना काफी चुनौतीपूर्ण है, हालाँकि, यह असहनीय नहीं है

इसलिए जितना हो सके हमें उतना पेड़ लगाना होगा, AC, refrigerator और वाहनों का उपयोग कम करना होगा, सबसे जरुरी है प्लास्टिक का उपयोग जिसे पूरी तरह से हमें अपने जीवनशैली से बाहर करना होगा. ये कुछ चीजें हैं जिनको ध्यान में रखते हुए प्रयोग करेंगे तो धरती और वायुमंडल के ताप को कम किया जा सकता है.

जब संयुक्त प्रयास किए जाते हैं तो ग्लोबल वार्मिंग को रोका जा सकता है. इसके लिए, व्यक्तियों और सरकारों, दोनों को इसे प्राप्त करने की दिशा में कदम उठाने होंगे. हमें ग्रीनहाउस गैस की कमी से शुरू करना चाहिए.

हम सभी को इस तथ्य का एहसास होना चाहिए कि हमारी पृथ्वी ठीक नहीं है. इसका इलाज करने की जरूरत है और हम इसे ठीक करने में मदद कर सकते हैं. वर्तमान पीढ़ी को भविष्य की पीढ़ियों की पीड़ा को रोकने के लिए ग्लोबल वार्मिंग को रोकने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.

इसलिए, हर छोटा कदम, कोई फर्क नहीं पड़ता कि कैसे छोटा वजन बहुत वहन करता है और ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में काफी महत्वपूर्ण है।

आशा है की आपको मेरा ये लेख “वायुमंडलीय ताप पर निबंध” पसंद आएगा साथ ही आपको वायुमंडल से जुडी बहुत सी जानकारी भी प्राप्त हुई होगी. इस लेख से जुड़े आपके कोई सवाल हैं तो बेझिझक निचे कमेंट में पूछ सकते हैं और अगर आपको ये लेख पसंद आया तो इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर कीजिये और कमेंट करिए.

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मैं एक कथा लेखिका हूँ, जो अपनी विचारधारा को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करने में विश्वास रखती हूँ। मेरी कहानियां जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास करती हैं।

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