सदियों से मनुष्य सभ्यता ने पूरी दुनिया में अपने कला का प्रदर्शन कर सुन्दर और विचित्र ईमारतें, स्मारक, मकबरा, मंदिर, गिरजाघर, मस्जिद और भी दुसरे भवन का निर्माण किया है जो दुनिया भर के करोडों लोगों को आश्चर्यचकीत कर देती है.
हमारे धरती पर कुछ ऐसे अनोखे और ख़ास ईमारतें मौजूद है जिनकी बेहतरीन बनावट लोगों को हैरान करती है. इन ख़ास ईमारतों को हम seven wonders यानि की दुनिया के सात अजूबे के नाम से जानते हैं.
अजूबा का हिंदी अर्थ है अनोखा, विचित्र, आश्चर्य में डालने वाली चीज. दुनिया के सात अजूबे ऐसे प्राकृतिक और मानवनिर्मित संरचनाओं का संकलन है जो अपनी अद्भुत कला, संरचना और खूबसूरती से मनुष्यों को आश्चर्यचकित करती है.
प्राचीन काल से वर्तमान काल तक दुनिया के अजूबों की ऐसी कई विभिन्न सूची तैयार की गई है. विश्व में ऐसे न जाने कितने लुभावने और अनोखे अजूबे हैं, लेकिन उन अजूबों में से दुनिया के सात अजूबों की सूचि तैयार करना बहुत ही मुश्किल काम है.
लगभग 2200 साल पहले यूनानी विद्यानो द्वारा बनाई गई विश्व के सात अजूबों की सूची 2100 सालों तक पूरी दुनिया में प्रचलित थी.
गिज़ा का विशाल पिरामिड (the Great Pyramid of Giza), बेबीलोन के झूलते बाग़ (The Hanging Garden of Babylon), ओलम्पिया में ज्यूस की मूर्ति (the Statue of Zeus of Olympia), आर्टेमिस का मंदिर (the Temple of Artemis), माउसोलस का मकबरा (the Tomb of Maussollos), रोडेज के कॉलॉसस की विशाल मूर्ति (the colossus of Rhodes) और सिकंदरिया के रौशनी घर (the Lighthouse of Alexandria) ये सभी प्राचीन दुनिया के सात अजूबे में शामिल थे.
लेकिन इस पुरानी सूचि को 7 july 2007 में दुबारा संसोधित किया गया क्योंकि जो सात अजूबे थे उनके पुराने इमारतों में से अधिकांश टूट फुट चुकी है. वर्तमान में गिज़ा का पिरामिड के अलावा अन्य सभी ध्वस्त हो चुके हैं.
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इसलिए internet के माध्यम से 1999 से शुरू हुई एक प्रतियोगिता के जरिये इस नए सूचि को फिर से तैयार किया गया. इसके लिए स्विट्ज़रलैंड में एक ‘New7Wonders’ फाउंडेशन बनाया गया.
इस फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं ने कैनेडा में एक वेबसाइट बनवाई जिसमे विश्व भर की 200 कलाकृति के बारे में जानकारी थी, जिसमे विश्व के लोकप्रिय स्मृति चिन्ह Sydney का Opera House और स्वतंत्रता की प्रतिमा (the Statue of Liberty) भी शामिल थे.
इसी वेबसाइट में एक पोल शुरू किया गया जिसमे इन 200 कलाकृति में से सिर्फ 7 को चुनना था. साल 2005 से इसके लिए मतदान शुरू हुए जिसमे दुनिया भर के करोडों लोगों ने हिस्सा लिया.
लोगों ने computer एवं मोबाइल फ़ोन द्वारा अपना वोट दिया. 2007 में Portugal की राजधानी Lisbon में दुनिया के सात नए अजूबों की नामो की घोषणा की गई.
आपको तो पता ही होगा की वो सात अजूबे कौन कौन से हैं? अगर सबके बारे में नहीं पता तो मै बताती हूँ, दुनिया के सात अनोखे अजूबे हैं- भारत का ताजमहल, चीन की दीवार, मैक्सिको का चिचेन इत्ज़ा, पेरू का माचू पिच्चु, इटली का कोलोसियम, ब्राज़ील का क्राइस्ट रिडीमर और जॉर्डन का पेट्रा.
दुनिया के सात अजूबे के नाम तो आपने जान लिया, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है की आखिर 200 खुबसूरत कलाकृति में से इन सात ईमारतों को ही क्यों और किस वजह से चुना गया? इन सात अजूबे में शामिल इमारतों के पीछे अलग अलग कहानियां हैं.
दुनिया के सात अजूबे कौन कौन से हैं? इस लेख के जरिये मै आपको इन्ही सात अजूबे की कहानी बताने वाली हूँ जिससे आपको हर सवाल का जवाब मिल जायेगा.
दुनिया के सात अजूबे के नाम और फोटो
आधुनिक दुनिया के सात अजूबे पिछले 100 साल से जाने जाते हैं इनमे कुछ अजूबे ऐसे हैं जो पुराने सात अजूबों में अपना स्थान रखते हैं. ये सात अजूबे पुरे दुनिया में कराये गए एक survey के आधार पर चयनित किये गए हैं, जिनको पूरी दुनिया के लोगों ने आश्चर्यजनक माना है. यह पुरे विश्व में अपनी खूबसूरती, मजबूती और कलाकारी के लिए जाने जाते हैं. चलिए अब हम उन सात अजूबों के बारे में जानते हैं-
अजूबा का नाम | निर्माण | जगह |
ताजमहल | 1648 | भारत |
चीन की विशाल दीवार | सातवी BC शताब्दी में | चीन |
चिचेन इत्ज़ा | AD 600 | मैक्सिको |
माचू पिच्चु | AD 1450 | पेरू |
कोलोसियम | AD 80 | इटली |
क्राइस्ट द रिडीमर | 1931 | ब्राजील |
पेट्रा | 100 BC | जोर्डन |
1. ताजमहल (Tajmahal)
दुनिया के सात अजूबे में से एक ताजमहल है जो भारत के आगरा शहर में स्थित है. पुरे विश्व में ताजमहल अपने ऐतीहासिक महत्व, प्यार की कहानी और शानदार खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है.
इस विशाल समाधी को शाहजहां के आदेश से बनाया गया था, जो मुग़ल शासनकाल का पांचवा सम्राट था. उसने इस महल को अपनी प्रिय बेगम की याद में बनाया था.
ऐसा कहा जाता है की शाहजहां अपनी बेगम मुमताज से बेपनाह मोहब्बत करते थे, उनकी बेगम की मृत्यु के बाद, अपने प्रेम को इतिहास के पन्नो में हमेसा के लिए यादगार बनाने के लिए उन्होंने ताजमहल बनाने का निर्णय किया जिसे मुमताज का मकबरा भी कहा जाता है.
खुबसूरत कलाकारी के नमूने ताजमहल का निर्माण 1632 में किया गया था जिसे बनने में करीब 15 साल लग गए थे. इसे बनाने के लिए सफ़ेद संगमरमर के पत्थर का उपयोग किया गया था जो काफी मेहेंगा था.
यह खुबसूरत सफ़ेद पत्थरों वाला मकबरा चरों तरफ से हरे भरे बगीचों से घिरा है और सामने एक पानी की बारी है जो इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगाती है.
इस महल की ख़ास बात यह है की यह चरों तरफ से एक सामान दीखता है. ताजमहल के बनने के बाद शाहजहां ने क्रूरता से इस निर्माण में जुड़े सभी मजदूरों के हाथ कटवा दिए ताकि वे ऐसा कुछ दूसरा नमूना ना बना सके.
ताजमहल की सुन्दरता को देखने के लिए देश दुनिया से हर साल लाखों पर्यटक आते रहते हैं.
2. चीन की विशाल दीवार (Great Wall of China)
मिट्टी और पत्थर से बना ये किलेनुमा दिवार है जिसे चीन के विभिन्न शाशकों के द्वारा उत्तरीय हमलावरों से रक्षा के लिए 5वी शताब्दी ईसा पूर्व से बनाना शुरू किया गया और 16वी शताब्दी तक बनकर तैयार हुआ.
ये दीवार पूर्वी चीन से लेकर पश्चिमी चीन तक फैली है जो चीन की शुरक्षा करती है. इसकी विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की इस मानवनिर्मित ढांचे को अंतरिक्ष से भी देख जा सकता है.
ये दीवार 6400 किमी के क्षेत्र में फैली है और 35 फ़ीट ऊँची है. इसकी चौड़ाई इतनी है की इसमें 10 लोग आराम से चल सकते हैं. कहा जाता है की इस दीवार के निर्माण में करीब 20 से 30 लाख लोगो ने अपना जीवन लगा दिया था.
3. चिचेन इत्ज़ा (Chichen Itza)
मैक्सिको में स्थित चिचेन इत्ज़ा माया सभ्यता के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है. चिचेन के केंद्र में प्रभावी रूप से स्थित है 79 फीट की ऊंचाई पर बना कुकुल्कन का पिरामिड. इस सीढ़ीदार पिरामिड का आधार चौकोर है.
इसके चारों दिशाओं में 91-91 सीढियाँ बनी है और प्रत्येक सीढ़ी को साल के एक दिन का प्रतिक माना गया है और ऊपर बने चबूतरे को 365वा दिन माना जाता है.
इसके अलावा चिचेन में चाक मुल के मंदिर, हजार पिलरों का हॉल और कैदियों के लिए बनाये गए खेल के मैदान आज भी देखे जा सकते हैं.
4. माचू पिच्चु (Machu Picchu)
दक्षिण अमेरिका के पेरू में माचू पिच्चु नाम का एक शहर है जो जमीन से 2500 फ़ीट की ऊंचाई पर बसा है. ये शहर 15वी सदी में इनकान सम्राट के शाशन काल में बनाया गया था.
कहा जाता है की एक समय में ये नगरी संपन्न थी लेकिन स्पेन से आये आक्रमणकारी यहाँ चेचक जैसी भयंकर बीमारी ले आये जिसकी वजह से यहाँ महामारी शुरू हो गयी.
इस शहर को लोगों ने चेचक की बीमारी के फैलने की वजह से छोड़ दिया था जिसके वजह से ये शहर बर्बाद हो गया. 1911 में अमेरिका के इतिहासकार हिरम बिंघम ने इसकी खोज की और इसे दुनिया के सामने लाया. UNESCO ने सन 1983 में इसे एक विश्व विरासत में शामिल किया.
5. कोलोसियम (Colosseum)
इटली के रोमन कोलोसियम प्राचीन रोम का एक महान अखाड़ा था जिसको लड़ाकों को आपस में लड़ाने और रोमन शासनकाल की महिमा का जश्न मनाने के लिए बनाया गया था. इसका निर्माण तत्कालीन शासक वेस्पियन ने 70वीं ईस्वी के मध्य से प्रारंभ किया और 80वीं ईस्वी में इसको सम्राट टाईटस ने पूरा किया.
यह अंडाकार कोलोसियम इतना बड़ा है की इसमें 50 हजार तक लोग इक्कट्ठे होकर जंगली जानवरों और घुलामों की खुनी लडाइयों का खेल देखते थे और इस स्टेडियम में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते थे.
साल में दो बार भव्य आयोजन होते थे और रोमनवासी इस खेल को बहुत पसंद करते थे. कुछ अनुमानों के अनुसार, कोलोसियम में लगभग 500,000 लोग मारे गए. इसके अतिरिक्त, इतने सारे जानवरों को पकड़ लिया गया और फिर वहाँ मार दिया गया कि कुछ प्रजातियाँ कथित रूप से विलुप्त हो गईं.
इस स्टेडियम की वास्तुकला ऐसी है की इसका नक़ल करना आज तक इंजिनियरों के लिए ये पहेली बना हुआ है. UNESCO द्वारा इसका चयन विश्व विरासत के रूप में किया गया है. यह आज भी शक्तिशाली रोमन साम्राज्य के वैभव का प्रतिक है.
6. क्राइस्ट द रिडीमर (Christ the Redeemer)
क्राइस्ट द रिडीमर यानि मसीह उद्धारक जी की मूर्ति ब्राज़ील के रियो डे जेनेरियो में स्थित यीशु मसीह की एक विशाल प्रतिमा है. ये प्रतिमा 130 फ़ीट लम्बी यानि 13 मंजिल ईमारत के बराबर है और 98 फ़ीट चौड़ी है.
इस प्रतिमा का वजन 635 टन है. यह तिजुका फारेस्ट नेशनल पार्क में कोर्कोवाड़ो पर्वत की चोटी पर स्थित है जिसकी ऊंचाई समुद्र तट से 2300 फ़ीट है, जहाँ से पूरा शहर दिखाई देता है.
ये दुनिया की सबसे ऊँची मूर्तियों में से एक है. ईसाई धर्म के प्रतिक के रूप में ये प्रतिमा रियो और ब्राज़ील की पहचान बन गयी है. ये दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मूर्ति है जीसका निर्माण 1922 से 1931 के बिच किया गया था.
ये विशालकाय मूर्ति कंक्रीट और पत्थर से बना हुआ है जिसे ब्राजील से सिल्वा कोस्टा ने डिजाईन किया था और फ्रेंच के प्रसिद्ध मूर्तिकार लेनदोव्सकी ने इसे बना के तैयार किया था. ये यीशु मसीह की संसार में सबसे बड़ी मूर्ति है जो शांति का प्रतिक भी है.
थोड़े असंतोष से , मूर्ति अक्सर बिजली गिरने से प्रभावित हुआ है, और 2014 में तूफान के दौरान यीशु के दाहिने अंगूठे की नोक क्षतिग्रस्त हो गई थी.
7. पेट्रा (Petra)
पेट्रा जॉर्डन के मआन प्रान्त में बसी एक शानदार वास्तुकला, ऐतिहासिक और पुरातात्विक नगरी है जो पत्थर से तराशी गई इमारतों और पानी की नालीनुमा प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है.
ये शहर अपने विचित्र architecture के लिए दुनिया भर में मशहुर है और यह दुनिया के सात अजूबों में शामिल है. लाल बलुआ पत्थर से बनी यहाँ की इमारतें जिन पर बेहद ख़ास और खुबसूरत नक्काशी हुई है, साल में ना जाने कितने सलानियों को अपने ओर आकर्षित करते हैं.
इसे 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में नबातियों ने अपनी राजधानी के तौर पर स्थापित किया था. माना जाता है की इसका निर्माण कार्य 1200 ईसा पूर्व के आसपास शुरू हुआ था. आधुनिक युग में ये एक मशहुर पर्यटक स्थल है. यहाँ ऊँचे ऊँचे मंदिर भी हैं जो आकर्षण का केंद्र है.
ये थी विश्व के सात अजूबे के नाम और उनकी कहानी जो इन्हें दुनिया के अन्य कलाकृतियों से अनोखा बनाती है. मुझे उम्मीद है की आपको ये लेख “दुनिया के सात अजूबे कौन कौन से हैं?” की जानकारी जो मैंने आप तक पहुँचाने की कोशिश की है आपको जरुर पसंद आएगी. इस लेख को अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें और अपने विचार हमें निचे comment के जरिये जरुर बतायें.